इलाहाबाद HC ने SC-ST एक्ट व दुष्कर्म और फर्जी केसों की जांच CBI व SIT को किया सुपुर्द

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट तथा दुष्कर्म के आरोप में फर्जी केस दर्ज करा कर ब्लैकमेल करने के 12 और केसों की जांच सीबीआइ व एसआइटी को सौंप दी है। चार मामलों की जांच सीबीआइ तथा आठ मामले की जांच एसआइटी से कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने दोनों संस्थाओं से जांच रिपोर्ट तलब की है। प्राथमिकी प्रयागराज के विभिन्न थानों में दर्ज है। यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने निक्की देवी की याचिका पर दिया है। मामले में अगली सुनवाई 15 मई को होगी।

यह है पूरा मामला

कोर्ट ने पुलिस प्रमुख डीजीपी को आदेश दिया है कि वह इंस्पेक्टर रैंक के छह अधिकारी सीबीआइ को सहयोग के लिए दें। कोर्ट ने कुछ अंतर्हस्तक्षेपी अर्जियों निरस्त कर दिया तो कुछ को निस्तारित किया है और भविष्य में ऐसी कोई अर्जी सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं करने का आदेश दिया है। याचिका पर सीबीआइ के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने पक्ष रखा।

इस तरह की प्राथमिकी कर्नलगंज, कैंट, दारागंज, सरायइनायत, मऊ आइमा शिवकुटी, बहरिया थानों में दर्ज हैं। अधिकांश मामलों में वकीलों को फंसाया गया है। आरोपित वकीलों का कहना है कि कुल 50 से अधिक एससीएसटी एक्ट तथा दुष्कर्म के आरोप में एफआइआर दर्ज हैं। सरकार से आर्थिक फायदा लेने और चार्जशीट के बाद ब्लैकमेल कर समझौता किया जाता है। इस गैंग की कुछ वकीलों द्वारा भी मदद की जाती है। कोर्ट 40 से अधिक मामले की सीबीआइ जांच कराने का आदेश पहले ही दे चुकी है।

याचिका में प्राथमिकी की प्रमाणित प्रति दाख ल करना फिर अनिवार्य

इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्राथमिकी (एफआइआर) की बगैर प्रमाणित प्रति लगाए याचिका दाखिल नहीं होगी। कोर्ट ने कोविड 19 के दौरान याचिका में प्राथमिकी की प्रमाणित प्रति दाखिल करने की अनिवार्यता को शिथिल करने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी और महानिबंधक को निर्देश दिया कि प्रमाणित प्रति के बगैर याचिका की स्टैंप रिपोर्टिंग न की जाए। कोर्ट ने कहा है कि आदेश का पालन न करने पर गंभीर रुख अपनाया जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने संजय झा उर्फ संजय कुमार की याचिका पर दिया है।

शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले पर मांगी जानकारी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्राइमरी स्कूल अध्यापकों के अंतरजनपदीय तबादले की मांग में दाखिल याचिका पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज से 10 दिन में जानकारी मांगी है। मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने लोकेश पति त्रिपाठी व विभिन्न जिलों के 182 अन्य अध्यापकों की याचिका पर दिया है।

याची की तरफ से अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की। याचिका सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, सोनभद्र के प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों ने दायर की है। इनका कहना है कि बेसिक शिक्षा (अध्यापक सेवा) नियमावली 1981 के नियम 21 के तहत याचियों को अंतरजनपदीय तबादला पाने का अधिकार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 आने के बाद बेहतर स्थिति हो गई है।

राज्य सरकार ने बेसिक शिक्षा निदेशक लखनऊ व सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को शिकायत निवारण समिति गठित करने का आदेश दिया है। गठित समिति की बैठक भी हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। इसलिए तबादले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए। सरकारी अधिवक्ता ने संबंधित जिलों के बीएसए को याचिका में पक्षकार न बनाए जाने के कारण याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की लेकिन कोर्ट ने परिषद के सचिव से जानकारी मांगने का आदेश दिया।

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