चीन के दोस्ती इन देशों को पड़ी भारी, Pak के बाद श्रीलंका ने की बिजली की कीमतों में 275% की बढ़ोतरी

पाकिस्तान और श्रीलंका, दोनों ही देश भारत के पड़ोसी हैं और दोनों में एक बात जो कॉमन है, वह चीन की दोस्ती है। दरअसल, भारत के दोनों पड़ोसियों ने चीन से जमकर कर्ज लिया और बदले में अपनी जमीन का इस्तेमाल ड्रैगन को कई प्रोजेक्ट्स के लिए करने दिया। अब दोनों ही देशों का हाल बेहाल हो गया है। पिछले साल के मध्य में श्रीलंका की आर्थिक हालत चरमरा गई, तो अब पाकिस्तान कंगाल बनने से बस एक कदम ही पीछे है।

श्रीलंका में पिछले साल से बिगड़े आर्थिक हालात अब तक नहीं सुधर सके हैं। इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) से कर्ज लेने की कोशिश कर रहे श्रीलंका को भी झटके पर झटका मिल रहा है। अब वहां की सरकार ने जनता को महंगाई का झटका दिया है। दरअसल, श्रीलंका ने आईएमएफ डील को सुरक्षित करने के लिए बिजली की कीमतों में 275 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इससे पहले पाकिस्तान में भी बिजली समेत महत्वपूर्ण चीजों के दामों में बढ़ोतरी हो चुकी है।

अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि श्रीलंका के बिजली बोर्ड ने उपभोक्ता दरों में 275 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। महीनों में दूसरी तेजी से वृद्धि हुई है क्योंकि दिवालिया द्वीप आईएमएफ बेलआउट को सुरक्षित करने के लिए कोशिशें कर रहा है, जिसकी वजह से वह बिजली समेत अन्य चीजों की दरें बढ़ाने के लिए मजबूर हो रहा है। पिछले साल एक अभूतपूर्व वित्तीय संकट के दौरान श्रीलंका के दो करोड़ से अधिक लोगों को महीनों तक भोजन और ईंधन की कमी के साथ-साथ लंबी बिजली कटौती को भी झेला था।

श्रीलंकाई सरकार अपने 46 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज को नहीं चुका सकी है और आर्थिक स्थिति को फिर से पटरी पर लाने के लिए आईएमएफ के साथ एक बेलआउट पैकेज को अंतिम रूप दे रही है। ऊर्जा मंत्री कंचना विजेसेकरा ने संवाददाताओं से कहा, “हमें आईएमएफ की शर्तों के अनुरूप बिजली शुल्क बढ़ाना पड़ा, क्योंकि हम खजाने से हैंडआउट नहीं ले सकते।” उन्होंने कहा, “हमें अपनी लागतों को कवर करने के लिए राजस्व पैदा करने की आवश्यकता है।”

बिजली दरों के बढ़ने के बाद अब परिवारों को कम-से-कम 30 रुपये (आठ सेंट) प्रति किलोवाट-घंटे का भुगतान करना होगा। सबसे कम टैरिफ में 275 प्रतिशत की वृद्धि से छह महीने पहले 264 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी हुई थी। अगस्त महीने में 80 प्रतिशत वृद्धि के बाद बड़े उपभोक्ताओं ने अपनी दरों में 60 प्रतिशत की वृद्धि की है। विजेसेकरा ने कहा कि दरों में वृद्धि से रोजाना होने वाले 140 मिनट के ब्लैकआउट को खत्म करने में मदद देगी। उन्होंने कहा, “बिजली की दरों में वृद्धि के बाद हम आज से निर्बाध बिजली सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक ईंधन खरीदने में सक्षम होंगे।” श्रीलंका को पिछले साल 13 घंटे तक के रोजाना ब्लैकआउट का सामना करना पड़ा, क्योंकि जनरेटर के लिए आयातित ईंधन खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।

पाकिस्तान और श्रीलंका, दोनों को चीन ने जमकर दिया लोन

भारत के दोनों पड़ोसी देशों- श्रीलंका और पाकिस्तान- की आर्थिक स्थिति खराब चल रही है। दोनों ने ‘दोस्त’ चीन से जमकर कर्ज लिया। श्रीलंका पर पिछले साल तक कुल 51 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था। इसके अलावा, सिर्फ चीन से लिए गए कर्ज की बात करें तो वह सात बिलियन डॉलर है, जिसमें चीनी डेवलपमेंट बैंक से लिया गया कर्ज भी शामिल है। पड़ोसी देश पर सबसे ज्यादा विदेशी कर्ज चीन द्वारा ही लिया गया और यह पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान लिया गया।

हालात बद्तर होने के बावजूद भी श्रीलंका ने इन पैसों का इस्तेमाल हंबनटोटा बंदरगाह, मट्टाला राजपक्षे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और नोरोचोलाई पावर स्टेशन सहित पूरे देश में अस्थिर परियोजनाओं के निर्माण के लिए किया। वहीं, पाकिस्तान की बात करें तो उसके कुल विदेशी कर्ज का 30 फीसदी जोकि लगभग 30 बिलियन डॉलर है, वह चीन से लिया गया। इसके बदले चीन पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल अपने लिए कर रहा है।

चीन के कई प्रोजेक्ट्स पाक में चल रहे हैं। इनमें चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, 10 बिलियन डॉलर की मेनलाइन- I रेलवे परियोजना, 1.2 बिलियन डॉलर की कराची सर्कुलर रेलवे परियोजना, 1.6 बिलियन डॉलर की आजाद पट्टन जलविद्युत परियोजना, 2.5 बिलियन डॉलर की कोहाला बिजली परियोजना और तीन अरब डॉलर की थार ब्लॉक वाली I कोयला परियोजना आदि शामिल हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि चीन जैसे देशों से विदेशी कर्ज लेने और फिर उसे बेफिजूल खर्च करने की वजह से श्रीलंका और पाकिस्तान का बुरा हाल हुआ है। दोनों ही देश अब आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आईएमएफ की ओर देख रहे हैं, जहां से जल्द कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है।

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