जानिए आखिर क्यों महादेव के गले में रहता है नाग…

इस वर्ष 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है। वही भगवान महादेव पृथ्वी पर सबसे अधिक पूज्य है। वही यदि हम बात करें 12 ज्योतिर्लिंगों की, तो शिव जी के देश में भले ही कितने मंदिर हो किन्तु इन 12 ज्योतिर्लिंगों की अपनी एक अलग अहमियत है। कहा जाता है कि इन 12 ज्योतिर्लिंगों में ज्योति रूप में महादेव स्वयं विराजमान हैं। शिवपुराण कथा में 12 ज्योतिर्लिंग के वर्णन की महिमा बताई गई है। ये 12 ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुनम्, वैद्यनाथम्, केदारनाथम्, सोमनाथम्, भीमशंकरम्, नागेश्वरम्, विश्वेश्वरम्, त्र्यंम्बकेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वरम्, ममलेश्वर व महाकालेश्वरम है। मान्यता है कि कहते है इनके दर्शन

महादेव का स्वरूप अन्य देवताओं से अलग हैं। उनके गले में नाग, जटा में गंगा, सिर पर चंद्रमा तथा हाथ में त्रिशूल- डमरू इस बात का प्रतीक है। मगर क्या आप जानते हैं इन सभी चीजों को धारण करने के पीछे अलग-अलग कारण हैं। शिव जी केवल इंसान की भक्ति से नहीं अन्य जीवों पर भी अपनी दृष्टि बनाएं रखते हैं। कहा जाता हैं कि नाग-नागिन महादेव को अपना भगवान मानते हैं। उनके गले में भी सर्प की माला लिपटी रहती हैं। आइये आपको बताते है इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में।

पौराणिक कथा के अनुसार, नागराज वासुकी महादेव के परम भक्ते थें। वे हमेशा उनकी उपासना करने में लीन रहते थे। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के वक़्त नागराज वासुकी ने रस्सी का काम किया था। महादेव नागराज की भक्ति देखकर खुश हो गए। उन्होंने वासुकी को अपने गले से लिपटे रहने का वरदान दिया। इसके बाद से नागराज वासुकी अमर हो गए। सावन के माह में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में खास तौर पर सांपों की पूजा होती है। 

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