महाराष्ट्र पुलिस के मॉक ड्रिल पर HC ने लगाई रोक, जानिए वजह….
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक अंतरिम आदेश में पुलिस को मॉक ड्रिल करने से रोक दिया है, जिसमें आतंकवादियों की भूमिका निभाने वाले कर्मियों को एक विशेष समुदाय के रूप में दिखाया गया था।
याचिकाकर्ता ने लगाए आरोप
दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच याचिकाकर्ता सैयद उसामा द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में कहा गया है कि पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे मॉक ड्रिल में वेश-भूषा और ऐसे नारों का इस्तेमाल किया गया। जो एक विशेष धर्म का दर्शाता है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मॉक ड्रिल के जरिए आतंकियों को विशेष धर्म का दिखाया गया है।
10 फरवरी को होगी मामले में सुनवाई
जस्टिस मंगेश पाटिल और जस्टिस एएस चपलगांवकर की खंडपीठ ने 3 फरवरी को सरकारी वकील को मॉक ड्रिल आयोजित करने के दिशा-निर्देशों के बारे में अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 10 फरवरी तय की गई है। इसके साथ ही पीठ ने मॉक ड्रिल पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है।
इन जिलों में आयोजित हुई थी मॉक ड्रिल
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस तरह के मॉक ड्रिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ पूर्वाग्रह को दिखाते हैं और यह संदेश देते हैं कि आतंकवादी केवल एक विशेष धर्म से ताल्लुक रखते हैं। जनहित याचिका में अहमदनगर, चंद्रपुर और औरंगाबाद जिलों में आयोजित तीन मॉक ड्रिल पर आपत्ति जताई गई थी। बता दें कि मॉक ड्रिल में आतंकवादियों की भूमिका निभाने वाले पुलिसकर्मियों को मुस्लिम समुदाय के पुरुषों के रूप में तैयार किया गया था।
कोर्ट ने मॉक ड्रिल पर लगाई अगले आदेश तक रोक
अदालत ने कहा याचिकाकर्ता ने जनहित से जुड़े मुद्दे को उठाया है। कोर्ट पुलिस विभाग द्वारा मॉक ड्रिल के आयोजन पर आपत्ति जताता है, जिसमें वेश-भूषा और नारेबाजी को दर्शाया गया है। जो यह दर्शाता है कि आतंकवादी एक मुस्लिम है। पीठ ने कहा सुनवाई की अगली तारीख तक किसी विशेष समुदाय के लोगों को आतंकवादी के तौर पर पेश करने वाला कोई मॉक ड्रिल नहीं किया जाएगा।