चाणक्य नीति: तरक्की की राह में रुकावट बनती हैं व्यक्ति की ये चार आदतें

निरंतर कठोर परिश्रम ही सफलता की रीढ़ है. इसके बिना जीवन संघर्ष से घिरा रहता है और असफलता रूपी बीमारियां सदा साथ रहती है. चाणक्य ने कहा है कि सफल होने और महान बनने में अंतर होता है. महान बनना सफल होने से भी जटिल कार्य है. महान वही बनते हैं जो चारों ओर तरक्की करते हैं, जमाना जिनका मुरीद होता है. इतिहास गवाह है जो व्यक्ति महान हैं आज भी उनकी सरहना होती है उनके कसीदे पढ़े जाते हैं और वह लोगों के लिए आइडियल बनते हैं. चाणक्य कहते हैं कि तरक्की पाने की राह में मनुष्य की कुछ आदतें बाधा बनती है इनसे दूर रहने वाले व्यक्ति महान की श्रेणी में आते हैं.

बुराई और बुरी संगत

चाणक्य कहते हैं कि बुरी संगत व्यक्ति को पतन के रास्ते पर ले जाती है और बुराई करने वाला इंसान कभी सम्मान का पात्र नहीं बन पाता. बुराई करना बुरे कार्यों की श्रेणी में आता है. बुराई वही करता है जो लोगों को ईर्ष्या, द्वेष की भावना से देखता हो. जो अहंकार से परिपूर्ण हो. ये आदतें व्यक्ति की तरक्की की राह में बाधा बनती हैं.

धन का गलत इस्तेमाल

गलत कार्यों में धन का उपयोग करना, दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए जो व्यक्ति पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल करता है उसकी तरक्की भी रुक जाती है. दूसरों की नजरों में उसकी छवि छल और कपट करने वाली बन जाती है. मां लक्ष्मी भी ऐसे लोगों पर अपना कृपा नहीं बरसाती.

भेदभाव का आदत

चाणक्य कहते हैं कि जो लोग भेदभाव की भावना नहीं रखते वह सदा सुखी और सफल बनते हैं. भेदभाव करने की आदत व्यक्ति में अभिमान का भाव पैदा करती है और वह कभी संतुष्ट नहीं रह पाता.

गुस्सा और लालच

पल भर के गुस्से से व्यक्ति अपना सबकुछ गवां बैठता है. वहीं लालच की आग इंसान को जलाकर खाक कर देती है, क्योंकि मोह में व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को भूल जाता है और हर काम में असफल होता है. इस आदत का त्याग करने वाले जीवन में बुलंदियों को छूते हैं.

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