जानें क्यों मनाई जाती है लोहड़ी, और इसकी पौराणिक कहानी

नववर्ष की शुरुआत के बाद से ही सभी को लोहड़ी त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। वैसे तो इसे देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मगर लोहड़ी सिख और पंजाबी समुदाय का खास त्यौहार होता है तथा इसकी धूम उत्तर भारत में सबसे अधिक देखने को मिलती है। लोहड़ी पर पारंपरिक गीतों, पारंपरिक पोशाक में सजे-धजे महिलाएं-पुरुष, भांगडा और गिद्दा करते हुए आग में गेंहू की बेलियां, मूंगफली, गुड़, तिल आदि डालकर परिक्रमा करते हैं, नाचते-गाते हैं तथा पूजा-पाठ करते हैं।

मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को है तथा लोहड़ी 14 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। शनिवार 14 जनवरी को ही लोहड़ी की पूजा होगी एवं उत्सव मनाया जाएगा। वहीं पूजा के लिए 14 जनवरी रात 08:57 का वक़्त शुभ रहेगा।

लोहड़ी पर्व की पौराणिक कहानी:-
लोहड़ी का त्यौहार से जुड़ी दुल्ला भट्टी की पौराणिक कहानी के मुताबिक, मुगल काल में अकबर के शासन के वक़्त दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक पंजाब में रहता था। दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की उस वक़्त रक्षा की, जब लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। दुल्ला भट्टी ने वहां पहुंचकर लड़िकयों को अमीर सौदागरों के चंगुल से छुड़वाया तथा उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई थी। तब से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा तथा प्रत्येक वर्ष लोहड़ी पर दुल्ला भाटी से जुड़ी यह कहानी सुनाई जाती है।

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