उत्तराखंड: जोशीमठ में भूधंसाव के बाद भी रात के अंधेरे में काटे जा रहे पहाड़

मशीनों की आवाज कई किलोमीटर तक सुनी जा सकती है. जोशीमठ में हो रहे धंसाव के बीच पहाड़ काटने की ये गतिविधि काफी घातक साबित हो सकती है.

भारी मशीनों से पहाड़ों को काटने का काम लगातार जारी है. जबकि जोशीमठ हर रोज धंस रहा है. किसी भी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक है. लेकिन पुलिस-प्रशासन के नाक के नीचे ये काम हो रहा है.

जोशीमठ में दरारें आने के बाद सरकार ने इस इलाके को एक भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित किया है. निर्माण कार्य रोके जाने के साथ ही क्षतिग्रस्त घरों में रहने वाले लोगों को अस्थायी राहत केंद्रों में ले जाया जा रहा है.

जोशीमठ में दरार पड़ने और जमीन धंसने से प्रभावित घरों की संख्या 723 हो गई है. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की चमोली इकाई ने यह जानकारी दी. प्रभावित इलाकों में 86 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है. जिला प्रशासन ने ऐसे घरों के बाहर लाल निशान लगा दिए हैं.

जोशीमठ के लोग अब भी पुनर्वास और मुआवजे को लेकर गुस्से में हैं. हालांकि प्रभावित मकानों के मालिकों को राज्य सरकार ने 4000 रुपये प्रति महीना देने का ऐलान किया है.

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