इन उपायों से दूर होता है रसोईघर का वास्तु दोष, भरा रहता है अन्न का भंडार

Vastu Tips: घर में वास्तु दोष परिवार की सुख-शांति भंग करने वाला माना जाता है. इन दोषों को दूर करने के लिए वास्तु शास्त्र में अलग- अलग विधान बताए गए हैं. इन्ही में एक उपाय रसोई घर को लेकर भी है, जिसकी दिशा व भीतर की व्यवस्थाओं को लेकर शास्त्र में कई नियम बताए गए हैं. मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से घर में अन्न, आय व सदस्यों की आयु  तीनों बढ़ते हैं. आज हम आपको रसोई के वही वास्तु नियम बताने जा रहे हैं.

वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर की दिशा
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, घर में रसोई हमेशा दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए. अग्नि कोण होने की वजह से इसमें चूल्हे की आग का जलना शुभ होता है. इसके अलावा शौचालय कभी भी रसोई घर के सामने नहीं बनाना चाहिए. यूं तो रसोई में भोजन करना भी शुभ है, लेकिन भोजन कक्ष बना रहे हैं तो हमेशा पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए. रसोई में पूजा घर बनाने से हमेशा बचना चाहिए.

रसोईघर का रंग व अंदर की व्यवस्था
पंडित जोशी के अनुसार रसोई घर में सफेद रंग सबसे शुभ होता है. पीला, गेरुआ व केसरियां रंग भी किया जा सकता है, पर नीले व आसमानी रंग से बचना चाहिए. इसके अलावा रसोई घर में आग व पानी एक दूसरे को देखते हुए नहीं होना चाहिए. चूल्हे के पास पानी, फ्रिज या सिंक नहीं होना चाहिए. रसोई में चाकू को इधर- उधर कहीं भी रखना व स्टैंड पर खड़ा करना भी कलह का कारण बन सकता है. ऐसे में चाकू को स्थाई स्थान पर आड़ा रखना चाहिए

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रसोई में टूटे- फूटे बर्तन भी अशुभ माने गए हैं. जूठे बर्तनों को भी लंबे समय तक रसोई में रखने से मां लक्ष्मी के नाराज होने की मान्यता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दाल, अनाज, तेल, मसाले, आटा, बर्तन सहित अन्य वस्तुओं के भंडारण के लिए पश्चिम या दक्षिण दिशा में स्थान तय करें. रसोई की सफाई के लिए झाड़ू आदि सामग्रीनैऋत्य कोण में रखने का विधान है.

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