हिमाचल प्रदेश चुनाव नतीजों में 48 घंटे बाकी, सत्ता के लिए निर्दलियों से संपर्क में भाजपा और कांग्रेस
शिमला : एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच बहुत करीबी नतीजों की भविष्यवाणी की गई है, जिसके बाद से ही दोनों ही पार्टियों ने स्वतंत्र उम्मीदवारों को अपने पक्ष में करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है, जो कि बराबरी की स्थिति में निर्णायक साबित हो सकते हैं. कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने दावा भी किया है कि दोनों मुख्य पार्टियों की ओर से उनसे संपर्क किया जा रहा है.
हालांकि, दोनों पार्टियां अपने पक्ष में एक स्पष्ट फैसले का दावा कर रही हैं, लेकिन उनके आंतरिक सर्वेक्षण के मुताबिक एक कड़ा मुकाबला होने की संभावना है, ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है. मतगणना के बमुश्किल 48 घंटे का समय बचा है और यही वजह है कि दोनों पार्टियां खंडित जनादेश की संभावना के लिए रणनीति बनाने में जुटी है.
सूत्रों ने कहा कि त्रिशंकु विधानसभा या भाजपा और कांग्रेस को समान संख्या में सीटें मिलने की स्थिति में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अपने निर्वाचन क्षेत्र सिराज में खुद को तैनात करने के बजाय निर्दलीय विधायकों को शामिल करने के प्रयासों की निगरानी के लिए शिमला में रहने की उम्मीद है. भाजपा ने कुछ दिनों पहले धर्मशाला में एक रणनीति सत्र आयोजित किया था ताकि साधारण बहुमत हासिल करने में विफल रहने पर अलग-अलग हालातों को लेकर चर्चा की जा सके.
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हिमाचल में सरकार बनाने के लिए 35 विधायकों का समर्थन
हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को कम से कम 35 विधायकों का समर्थन चाहिए, लेकिन सोमवार को जारी एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों के मुताबिक कांग्रेस और भाजपा इस जादुई आंकड़े को प्राप्त करने में चुनौती का सामना कर सकते हैं. हालांकि, मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी. सर्वेक्षणों में भाजपा को 24 से 41 सीटें मिलने का पूर्वानुमान लगाया गया है, जबकि कांग्रेस के खाते में 20 से 40 सीटें आने की संभावना जताई गई है. करीबी मुकाबला होने की वजह से निर्दलीय की भूमिका अहम होगी और इनमें से कुछ ने दावा किया है कि दोनों पार्टियां उन्हें संपर्क कर रही हैं.
कुल 91 निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 91 निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिनमें से करीब दो दर्जन बागी प्रत्याशी है जो पार्टियों से टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवारी खड़े हुए और उनके द्वारा वोट काटे जाने के आसार हैं. राजनीतिक दल हालांकि उन उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिनकी जीतने की संभावना अधिक है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बहुमत साबित करने के लिए और सदस्यों की जरूरत पड़ने पर उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं.
पहले भी सरकार बनाने में अहम रोल निभा चुके हैं निर्दलीय विधायक
गौरतलब है कि पूर्व के कई चुनावों में भी निर्दलीय विधायकों ने अहम भूमिका निभाई थी. वर्ष 1982 में कांग्रेस ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 31 सीटें हासिल की थी और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई थी. उक्त चुनाव में भाजपा और जनता दल को क्रमश: 29 और दो सीटों पर जीत मिली थी और छह सीटें निर्दलियों को मिली थी.