शिवाजी का अपमान, सीमा विवाद… 17 दिसंबर को मुंबई में MVA के साथ उद्धव ठाकरे बोलेंगे हुंकार

मुंबई : महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान के मामले को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रही है. एमवीए ने शिवाजी महाराज का अपमान करने के लिए एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ 17 दिसंबर को मुंबई में बड़े पैमाने पर विरोध मार्च की घोषणा की है. साथ ही इस मार्च में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद का मुद्दा भी उठाया जाएगा. इसके अलावा एमवीए द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को शिवाजी पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर पद से हटाने की भी मांग की जाएगी.
ANI के अनुसार प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा इस 17 दिसंबर को, हम वर्तमान राज्य सरकार के खिलाफ मुंबई में जीजामाता उद्यान से आज़ाद मैदान तक ‘मोर्चा’ निकालेंगे, और महाराष्ट्र के राज्यपाल को हटाने की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि ‘मैं महाराष्ट्र से प्यार करने वाले सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे राज्य का अपमान करने वालों के खिलाफ एकजुट हों. उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे पर भी राज्य सरकार की खिंचाई की.’
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिंदे सरकार पर ठाकरे ने खूब हमले किए. ठाकरे ने कहा कि आज ‘कर्नाटक हमारे क्षेत्रों, गांवों और यहां तक कि जाठ, सोलापुर पर अपना दावा ठोक रहा है. कल को वे हमारे पंडरपुर विठोबा पर भी अपना दावा करेंगे.’ उन्होंने सवाल के लहजे में कहा कि जैसे ‘गुजरात चुनाव से पहले हमारी कुछ योजनाएं गुजरात को दे दी गईं तो क्या कर्नाटक चुनाव से पहले हमारे गांव कर्नाटक को दे दिए जाएंगे?’
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वहीं विपक्षी दल के नेता अजीत पवार ने कहा कि ‘देखिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री का बयान कैसा है और राज्य में भाजपा की सरकार है. यहां भाजपा के कारण शिंदे मुख्यमंत्री बने हैं. वे मुद्दों पर कुछ नहीं बोल रहे हैं और हमारे नेताओं और महाराष्ट्र के आइकन का अपमान करने की कोशिश की जा रही है. इसलिए हमें आंदोलन करने की जरूरत पड़ रही है.’
मालूम हो कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘पुराने आइकन’ कहे जाने के बाद राज्य में विवाद छिड़ गया. उनके विवादित बयान ने महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर हंगामा खड़ा कर दिया और मराठा संगठनों और विपक्षी नेताओं ने समान रूप से इसकी निंदा की. अब देखना होगा कि एमवीए की सरकार के खिलाफ 17 दिसंबर को मुंबई में मार्च की घोषणा इस विवाद को किस तरफ ले जाती है.