खतौली उपचुनाव: बीजेपी को मात देने के लिए RLD ने बदली रणनीति, बसपा के वोट बैंक पर नजर

मुजफ्फरनगर/दिल्ली : यूपी में तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. इसमें मैनपुरी लोकसभा और रामपुर-खतौली विधानसभा सीट शामिल हैं. इसमें खतौली सीट पर काबिज रही बीजेपी की काट को लेकर रालोद ने इस बार नई रणनीति बनाई है. खासकर, दलित वोटों को पाले में लाने के लिए रालोद ने कार्यकर्ताओं की फौज उतार दी है. पार्टी रणनीतकारों का मानना है कि बसपा का कैंडिडेट मैदान में न होने से चुनाव में दलित वोट निर्णायक साबित होंगे.

खतौली विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में रालोद-सपा गठबंधन से मदन भैया मैदान में हैं. वहीं खतौली से बीजेपी विधायक रहे विक्रम सिंह सैनी लगातार दो बार विधायक चुने जा चुके हैं. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने पहली बार 2017 में सपा के चंदन सिंह चौहान को 31,374 वोट से हराया था. वहीं 2022 में विक्रम सैनी रालोद के राजपाल सिंह सैनी को 16,345 वोट से हराकर विजयी हुए थे. लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े केस में सजायाफ्ता होने के बाद विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द हो गई. जिसके बाद खतौली सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने विक्रम सिंह सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को मैदान में उतारा है. बीजेपी एक बार फिर खतौली सीट पर जीत का दावा कर रही है. उधर, कांग्रेस व बसपा के प्रत्याशी मैदान में न होने से रालोद और बीजेपी में सीधी टक्कर है. रालोद जाट-गुर्जर-मुस्लिम समीकरण के साथ-साथ दलित वोटों को भी पाले में खींचने के प्रयास में जुटी है.

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35 सेक्टरों में बांटी खतौली सीट
रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि रालोद खतौली सीट पर जीत दर्ज करेगी। इसके लिए चंद्रशेखर आजाद की पार्टी का भी समर्थन मिला है. रालोद ने खतौली विधानसभा सीट को 35 सेक्टर में बांटा है. हर सेक्टर में 50 कार्यकर्ताओं की टीम लगी है, जो घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं. हर समाज का साथ मिल रहा है. खासकर इस बार बसपा के मैदान में न होने से दलित वोट रालोद के साथ है. रालोद को आजाद समाज पार्टी का समर्थन भी मिला है.

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