लड़कियों में लगातार बढ़ रहे एड्स के मामले

एड्स छूने, साथ बैठने से नहीं फैलता है। बीते कई दशकों से दुनिया को ये संदेश दिया जा रहा है। इसके बावजूद हालात नहीं सुधर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन एड्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, असमानता की भावना से ये रोग बढ़ रहा है। दुनियाभर में करीब आठ लाख एड्स पीड़ित बच्चों को आज भी इलाज नसीब नहीं है। एचआईवी से ग्रसित पांच से 14 साल के 60 फीसदी बच्चे बिना उपचार के जीवन जी रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में इस रोग से पीड़ित बच्चों का इलाज देरी से शुरू हो रहा है।

लड़कियों में लगातार बढ़ रहे केस-
वर्ष 2021 में 15 से 24 साल की लड़कियों में एचआईवी के मामले बढ़े हैं। दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण के 49 फीसदी मामले महिलाओं और लड़कियों में मिले हैं। हर दो मिनट में एक किशोरी या युवा लड़की इसकी चपेट में आई है। अफ्रीकी देशों की लड़कियों में ये रोग तेजी से फैला है। महिलाओं में एचआईवी के 61 फीसदी मामले सब सहारा अफ्रीकी देशों में मिले हैं।

संक्रमण के मामलों में गिरावट-
यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार 1996 में बीमारी का प्रकोप बढ़ने के बाद इसमें गिरावट आई है। 1996 में 32 लाख लोग और 2010 में करीब 22 लाख इसकी चपेट में आए थे। वर्ष 2021 में ये संख्या घटकर करीब 15 लाख हो गई है। इस अनुसार इसमें 32 फीसदी की गिरावट आई है।

एचआईवी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भार-
यूएन एड्स के अनुसार, वर्ष 2021 के अंत तक गरीब और कम आय वाले देशों में एड्स से लड़ाई के लिए संगठन के पास करीब 2140 करोड़ डॉलर राशि थी। वर्ष 2025 तक इसके लिए 2900 करोड़ डॉलर की जरूरत होगी। रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि बिना इलाज के जीवन जी रहे बच्चे दुनिया के लिए नई मुश्किल हैं।

यौन स्वास्थ्य को लेकर बंदिशें-
यूएन एड्स की कार्यकारी निदेशक विन्नी बयानिमा का कहना है कि दुनिया के 33 देशों की 41 फीसदी शादीशुदा महिलाएं ही यौन स्वास्थ्य को लेकर अपना निर्णय लेती हैं। अन्य देशों की बात करें तो दस में से पांच महिलाएं इसको लेकर गंभीर ही नहीं हैं। वे यौन स्वास्थ्य से जुड़ी हर बात के लिए पुरुषों पर निर्भर हैं।

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