उत्तराखंड में जानलेवा साबित हो रहे वन्यजीव, इस जंगली जानवर की वजह से हुईं सबसे ज्यादा मौतें

देहरादून: प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे राज्य के लोगों के लिए वन्यजीव भी बड़ी मुसीबत बन गए। हालिया तीन साल के आंकड़ों को देखा जाए तो भूस्खलन, बारिश आदि ने जहां 400 लोगों की जान ले ली। वहीं उत्तराखंड में 161 लोग वन्यजीवों के हमले में मारे गए। जबकि 641 लोग बाघ, हाथी, भालू, गुलदार के हमले में बुरी तरह जख्मी हो गए। 

सदन में पहले दिन केदारनाथ विधायक शैला रानी रावत, नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा और डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला और देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी के लिखित सवालों के जवाब में सरकार ने यह जानकरी दी। सरकार ने बताया कि वर्ष 2020 से अब तक राज्य में 161 लोग वन्यजीवों का शिकार बन चुके हैं।

इनमें गुलदार ने 66, हाथी ने 28, बाघ ने 13,भालू ने 05, सांप ने 44 और 5 लोगों की जान अन्य वन्यजीव ले चुके हैं। इसी प्रकार घायलों में गुलदार के हमलों से पिछले तीन साल में 186 लोग घायल हुए हैं। जबकि हाथी के हमलों में 27, बाघ के हमले में 23, भालू के हमले में 178, सांप के काटने से 145 लोग घायल हो चुके हैं।

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उधर, भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. सत्यकुमार का कहना है कि मानव वन्यजीव संघर्ष का सबसे बड़ा कारण वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों का कम होना है। मानवीय दलखदांजी की वजह से वन्यजीवों के सामने भी आवास और भोजन-पानी का संकट गहरा चुका है। इसके अलावा उनकी संख्या में वृद्धि भी एक बड़ी वजह है।  

मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए आबादी क्षेत्रों में सोलर फैंसिंग लगाई जा रही है। गुलदार व अन्य जानवरों की सक्रियता वाले क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाती है। आदमखोर जीवों को पकड़ने के लिए तत्काल कार्रवाई की जा रही है। जंगली सुअरों को मारने के लिए परमिट देने की व्यवस्था भी है।
सुबोध उनियाल, वन मंत्री   

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