धरती पर कैसे हुई देवी के 51 शक्तिपीठों की स्थापना? मां सती से जुड़ी है कथा

हिंदू धर्म में मां सती को देवी शक्ति का रूप माना गया है. भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती ही सती कहलाती हैं. मां सती के देह के अंश धरती पर गिरे थे, उनको शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. धरती पर आज 51 शक्ति पीठ मौजूद हैं, जो बेहद पवित्र और अलौकिक हैं. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, मां सती के इन 51 शक्तिपीठ की महिमा अपार है. इनके दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर होते हैं. तो चलिए जानते हैं धरती पर किस प्रकार मां सती के 51 शक्तिपीठ की स्थापना हुई. 

शक्तिपीठ की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन कराया था. सभी देवी-देवताओं को यज्ञ में आने के लिए आमंत्रित किया गया. परंतु माता सती और भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा गया. माता सती को इस बात का पता चला तो उन्होंने शिवजी से यज्ञ में जाने की इच्छा जताई.

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लेकिन शिवजी ने यज्ञ में जाने से मना कर दिया. सती ने महादेव की बात नहीं मानी और यज्ञ में पहुंच गईं. सती को देखकर राजा दक्ष क्रोधित हो गए और उन्होंने सती के सामने भगवान शिव का घोर अपमान किया. अपने पिता के मुख से अपने पति के लिए निकले अपमानजनक शब्दों को मां सह नहीं पाईं और अग्नि कुंड में कूद कर प्राण त्याग दिए. 

ऐसे स्थापित हुए शक्तिपीठ
मां सती के प्राण त्यागने की खबर जैसे ही शिवजी को मिली तो तीनों लोकों में त्राहिमाम मच गया. शिव सती की देह को उठाकर तांडव करने लगे. इससे समस्त सृष्टि खतरे में पड़ गई थी. सभी चिंतित देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और इसे रोकने की प्रार्थना की.

तब विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को भस्म कर दिया. जिससे उनके शरीर के 51 टुकड़े हुए और वो धरती पर अलग-अलग जगहों पर गिर गए और उसने शक्तिपीठों का निर्माण हुआ. कलयुग में आज इन शक्तिपीठों के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

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