भारत और गल्फ देशों की नजदीकियों से हो रही है पाक को जलन

दिल्लीः आज जब जीयो पॉलिटिक्स की बात कही जाती है तब सभी देशों को किसी न किसी की ‘ओर’ कहकर इंगित किया जाता है। जैसे चीन रूस की ओर, और फ्रांस अमेरिका की ओर… जहां यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद एक बार फिर से शीत युद्ध जैसी स्थिति बन गयी हैं। विश्व दो गुटों में बट गया हैं, ऐसे में भारत ‘ओर’ वाली राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखता हैं। भारत की फॉरन पॉलिस अपने राष्ट्रीय हितों के लिए हैं। भारत के साथ ऐसा कोई नियम नहीं लागू होता है कि अमेरिका से व्यापार करने के बाद भारत अपने रिश्ते चीन से खराब करेगा। भारत चीन से भी व्यापार करेगा और रूस से प्रतिबंधों के बाद तेल भी खरीदेगा, साथ ही साथ अमेरिका के साथ टेक्नोलॉजी भी शेयर करेगा। भारत सभी के साथ अपने रिश्तों को बनाकर चलता है और जरूरी नियमों का पालन भी करता हैं। इरान-भारत के रिश्ते हमेशा से बहुत मधुर होने के बाद भी जब अमेरिका ने परमाणु परीक्षण को लेकर इरान पर प्रतिबंध लगाया तब से भारत ने प्रतिबंधों और विश्व शांति को ध्यान में रखते हुए इरान से तेल खरीदना बंद किया। यह जरूरी था क्योंकि यह मामला विश्व शांति से जुड़ा था। भारत की विदेश नीति को बहुत ही अच्छे ठंग से अतंराष्ट्रीय मंचों से बयां भी कर दिया जाता है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं।

‘लाजवाब है भारत की फॉरन पॉलिसी’, ‘मैं इंडिया का बहुत बड़ा फैन हूं’ ये लाइनें किसी भारतीय ने नहीं बल्कि विश्व स्तर के नेताओं ने अंतराष्ट्रीय मंच पर बोली हैं। इससे यह साफ है कि भारत विश्व में अपना एक अलग वर्चस्व रखता हैं। भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की संयुक्त अरब अमीरात के मंत्री आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मंत्री उमर सुल्तान अल ओलमा ने जमकर तारीफ की। उन्होंने जयशंकर की तारीफ करते हुए कहा है कि भू-राजनीतिक रस्साकशी के बीच वो भारत की विदेश नीति को जिस तरह से विश्व मंच पर रखते हैं, उससे वो बेहद प्रभावित हैं। इसके अलावा बांग्लादेश में चीन के राजदूत ली जिमिंग ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि “व्यक्तिगत रूप से मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। हम आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।”

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इन सभी बातों से एक चीज बहुत साफ तरह से स्पष्ट होती है कि भारत के साथ दुनिया के बड़े-बड़े देश अपने रिश्ते बेहतर करना चाहते हैं, फिर चाहें वह तेल की खादान कहे जाने वाले गल्फ देश हो या फिर चीन, कोई भी भारत संग अपनी दोस्ती खराब नहीं करना चाहता हैं। भारत का कद जिस तरह से दिन-ब-दिन विश्व में बढ़ रहा है इससे सबसे ज्यादा खतरा पाकिस्तान को हो रहा हैं।

बीजेपी नेता नुपुर शर्मा के पैगंबर मुहम्मद वाले बयान पर गल्फ देशों ने भी आपत्ति जताई थी जिसके बाद बीजेपी सरकार ने नुपुर शर्मा के खिलाफ एक्शन लिया था। इस बात का फायदा पाकिस्तान ने भी उठाने की कोशिश की थी लेकिन भारत के नुपुर के खिलाफ एक्शन  के बाद गल्फ के साथ रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ा। पाकिस्तान को एक बार फिर से मूकी खानी पड़ी।

अब सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान नवंबर के मध्य में भारत की एक संक्षिप्त यात्रा करने वाले है, और यात्रा का फोकस मुख्य रूप से यूक्रेन संघर्ष के नतीजों पर होने की उम्मीद है। विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा और द्विपक्षीय व्यापार पर निवेश को लेकर बात होने वाली हैं। अब ऐसे में पाकिस्तान में खलबली मची हुई हैं। पाकिस्तान की जिस तरह से नीतियां रही हैं वह इस्लामिक देशों को भी साथ लेकर नहीं चल पा रहा हैं। अफगानिस्तान सहित गल्फ देशों की भारत से बढ़ती नजदीकियों से पाकिस्तान असुरक्षित मेहसूस कर रहा है इसी कारण मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यूएई की यात्रा की और यूएई संग अपने पुराने रिश्तों का रिविजन भी किया। एक बैठक के दौरान, क्राउन प्रिंस और प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने अपने देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों, द्विपक्षीय सहयोग के पहलुओं और विभिन्न क्षेत्रों में उन्हें विकसित करने के तरीकों की समीक्षा की। उन्होंने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर भी चर्चा की।

अब देखना होगा कि पाकिस्तान की अचानक हुई यूएई यात्रा का क्या असर पड़ेगा। भारत-यूएई के रिश्तें हमेशा से मधुर रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी बेहतर हैं अब क्राउन प्रिंस के आने के यह संबंध किस ऊंचाई पर जाते हैं यह देखना होगा। 

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