‘शंकराचार्य की नियुक्ति को लेकर अखाड़ा परिषद को किसी भी प्रकार का कोई हक नहीं’-अविमुक्तेश्वरानंद

हरिद्वार: अविमुक्तेश्वरानंद के गुरु भाई स्वामी सुबोधानंद ने बुधवार को शंकराचार्य मठ कनखल में प्रेस वार्ता कर कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति को लेकर अखाड़ा परिषद को किसी भी प्रकार का कोई हक नहीं है। वह शंकराचार्य की नियुक्ति को लेकर अखाड़ा परिषद की कोई बात भी नहीं मानेंगे।

स्वामी सुबोधानंद ने बताया कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद को 12 सितंबर को भू-समाधि देने से पूर्व ही ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और द्वारका पीठ पर स्वामी सदानंद का पट्टाभिषेक कर दिया गया था। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने अपने इच्छा पत्र में भी ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य पद पर अविमुक्तेश्वरानंद और द्वारका पीठ पर स्वामी सदानंद को परंपरा के अनुसार शंकराचार्य बनाया है।

हस्तक्षेप अच्छी बात नहीं: स्वामी सुबोधानंद 
स्वामी सुबोधानंद ने बताया कि इस पर काशी विद्वत परिषद और भारत धर्म महामंडल भी अपना प्रस्ताव दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से शंकराचार्य की नियुक्तियों को लेकर अखाड़ा परिषद हस्तक्षेप कर रही है, वह बात ठीक नहीं है।

‘अखाड़ा परिषद बताए कितने शंकराचार्य बनाए’
अविमुक्तेश्वरानंद के गुरु भाई स्वामी सुबोधानंद ने सवाल किया कि 1973 में जब स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को शंकराचार्य बनाया गया था, तब अखाड़ा परिषद कहां थी? अखाड़ा परिषद बताए कि वह अब तक कितने शंकराचार्य को बना चुकी है? उन्होंने कहा कि ज्योतिष और द्वारका पीठ के शंकराचार्य की नियुक्ति परंपरा के अनुसार की गई है। दोनों ही पीठों पर योग्य बाल ब्रह्मचारियों और वेद-वेदांगों के मर्मज्ञ विद्वानों को शंकराचार्य बनाया है।

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शंकराचार्य को बनाने में अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका: रविंद्रपुरी
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि शंकराचार्य को बनाने में अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि 1941 में जब ब्रह्मलीन स्वरूपानंद के गुरु ब्रह्मानंद को शंकराचार्य बनाया गया था, तब भी संन्यासी अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

रविंद्र पुरी ने कहा कि कुंभ के दौरान शंकराचार्य की शोभा यात्रा से लेकर स्नान तक की जिम्मेदारी अखाड़ों की होती है। 2015 के नासिक कुंभ में जूना अखाड़ा, निरंजनी और अग्नि अखाड़ा ने शंकराचार्य को स्नान कराया था।

‘संन्यासी अखाड़े चुनेंगे अपना शंकराचार्य’
रविंद्र पुरी ने दावा करते हुए कहा कि देश में गिरी संप्रदाय के सबसे अधिक संत हैं, ज्योतिष पीठ गिरी और पुरी पीठ है, ऐसे में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति पूरी तरह फर्जी है। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि ब्राह्मण समाज का अध्यक्ष जिस तरह ब्राह्मण होता है, उसी तरह पुरी और गिरी पीठ का शंकराचार्य गिरी या पुरी ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संन्यासी अखाड़े अपना शंकराचार्य बनाने जा रहे हैं।

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