एनसीएलटी ने रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया 31 जनवरी तक बढ़ाई

राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल की कर्ज समाधान प्रक्रिया के लिए समयसीमा 31 जनवरी, 2023 तक बढ़ा दी है। पहले इसकी समयसीमा एक नवंबर, 2022 तक थी। सूत्रों ने कहा कि यह समाधान प्रक्रिया में किया गया तीसरा विस्तार है। इसके पहले भी दो बार समयसीमा बढ़ाई जा चुकी थी। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के नियमों के मुताबिक,प्रशासक को रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) के समाधान की प्रक्रिया मूल रूप से 180 दिनों के भीतर यानी तीन जून, 2022 तक पूरी कर लेनी थी।

लेकिन ऐसा नहीं हो पाने से समयसीमा बढ़ाई जाती रही। इससे पहले रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं ने 75 करोड़ रुपये की अग्रिम जमा राशि (ईएमडी) के साथ बाध्यकारी बोलियां जमा करने के लिए बोलीदाताओं को 31 अक्टूबर तक का समय दिया था। इस बार समयसीमा में 30 दिनों का विस्तार किया गया था लेकिन बोलीदाता इससे खुश नहीं थे। उनमें से अधिकांश ने दो-चार महीने के विस्तार की मांग की थी। रिलायंस कैपिटल को अपने कई व्यवसायों के लिए 14 गैर-बाध्यकारी बोलियां मिली थीं।

छह कंपनियों ने पूरी कंपनी के लिए बोलियां जमा की थीं, जबकि बाकी बोलीदाताओं ने इसकी कई सहायक कंपनियों के लिए बोलियां जमा की थीं। बोलीदाताओं के पास दो विकल्प हैं। पहले विकल्प के तहत वे पूरी कंपनी के लिए बोलियां जमा कर सकते हैं जबकि दूसरे विकल्प के तहत वे कंपनी के विशिष्ट कार्यक्षेत्रों के लिए बोली लगा सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि टॉरेंट, इंडसइंड बैंक, ओकट्री, कॉस्मिया फाइनेंशियल, ऑथम इन्वेस्टमेंट और बी राइट रियल एस्टेट ने रिलायंस कैपिटल की पूरी संपत्ति के लिए 4,000 करोड़ रुपये से 4,500 करोड़ रुपये की बोली जमा की है।

सूत्रों ने कहा कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कारोबार के लिए पीरामल फाइनेंस ने 3,600 करोड़ रुपये की पेशकश की है, जबकि ज्यूरिख इंश्योरेंस की बोली 3,700 करोड़ रुपये की है। एक अन्य बोलीदाता एडवेंट ने 7,000 करोड़ रुपये की पेशकश की है। जिंदल स्टील एंड पावर और यूवीएआरसी ने रिलायंस कैपिटल के एआरसी कारोबार के लिए बोलियां जमा कर दी हैं।

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