करवा चौथ पूजा के समय करें यह आरती, मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीष

दिल्लीः आज करवा चौथ के अवसर पर करवा माता, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने का विधान है. करवा मैया माता पार्वती को कहते हैं. वह आदर्श नारी और अखंड सौभाग्यवती हैं. इस वजह से सौभाग्य प्रदान करने वाले सभी व्रतों में माता पार्वती की पूजा करते हैं, बस व्रत और त्योहार के अनुसार उनका नाम और स्वरूप अलग होता है.

आज करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:54 बजे से लेकर शाम 07:09 बजे तक है. इस समय में व्रती महिलाओं को करवा माता, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. पूजा में आरती का महत्व है. आरती करने से पूजा की कमियां दूर होती हैं और उसे पूर्णता प्राप्त होती है.

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करवा चौथ की आरती
करवा चौथ क पूजा में शिव जी, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा होती है. ऐसे में आपको तीनों की आरती करनी चाहिए. यदि आप तीनों की आरती नहीं कर पा रही हैं तो करवा माता की आरती करें. समय है तो सभी की आरती करें. यहां पर आपको करवा माता, भगवान शिव और गणेश जी की आरती दी जा रही है. इसमें सबसे पहले गणेश जी, फिर शिव जी और करवा मैया की आरती करें.

करवा मैया की आरती

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
ओम जय करवा मैया…

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया…

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया…

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया…

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया…

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश…

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश…

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश…

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश…

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश…

शिव जी की आरती

ओम जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा…

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥
ओम जय शिव ओंकारा…

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥
ओम जय शिव ओंकारा…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा…

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा…

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा…

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