जनसंख्या नियंत्रण पर बने कानून, मोहन भागवत के भाषण की खास बातें

नागपुर: आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में विजय दशमी समारोह में शामिल हुए. रेशम बाग में विजयादशमी के मौके पर दशहरा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता से लेकर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून की वकालत की. उन्होंने कहा कि जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है, वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते. वहीं, उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर जोर देते हुए कहा कि जनसंख्या नीति व्यापक सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो. इस अवसर पर पर्वतारोही संतोष यादव, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहे. तो चलिए जानते हैं मोहन भागवत ने अपने संबोधन में क्या-क्या कहा.

  • संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है.
  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रोजगार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सरकरी. अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है. बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है.
  • जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर जोर देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यह सही है कि जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज्यादा. जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है. हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है. इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो.
  • मोहन भागवत ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी बनाने का काम स्वतंत्र भारत में भी चल रहा है. उनके बहकावे में न फंसते हुए उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो, उनके प्रति निर्मोही होकर निर्भयतापूर्वक उनका निषेध व प्रतिकार करना चाहिए. शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए. समाज का सबल व सफल सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है.
  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमारे मित्रों में सभी जातियों एवं आर्थिक समूहों के लोग हों, ताकि समाज में और समानता लाई जा सके. हर कोई चाहता है कि नयी शिक्षा नीति छात्रों को अच्छा इंसान बनाने और उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने में मदद करे.
  • मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्व का विषय है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती. जब-जब किसी देश में जनसांख्यिकी असंतुलन होता है तब-तब उस देश की भौगोलिक सीमाओं में भी परिवर्तन आता है. जन्मदर में असमानता के साथ-साथ लोभ, लालच, जबरदस्ती से चलने वाला मतांतरण व देश में हुई घुसपैठ भी बड़े कारण है.
  • नागपुर में मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर, पानी और श्मशान भूमि सबके लिए समान होनी चाहिए. हमें छोटी-छोटी बातों पर नहीं लड़ना चाहिए. कोई घोड़े की सवारी कर सकता है और दूसरा नहीं कर सकता है, जैसी इस तरह की बातों का समाज में कोई जगह नहीं होना चाहिए और हमें इस दिशा में काम करना होगा.
  • उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा डरा-धमका कर यह कहा जा रहा है कि हमारी वजह से अल्पसंख्यकों को खतरा है. यह न तो संघ का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का. संघ भाईचारे, सौहार्द और शांति के पक्ष में खड़ा होने का संकल्प लेता है.
  • आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की चर्चा हर तरफ हो रही है. कई लोग अवधारणा से सहमत हैं लेकिन 'हिंदू' शब्द के विरोध में हैं और दूसरे शब्दों का उपयोग करना पसंद करते हैं. हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है. अवधारणा की स्पष्टता के लिए हम अपने लिए हिंदू शब्द पर जोर देते रहेंगे.
  • नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि लोगों को गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, लेकिन कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए. गलत के खिलाफ आवाज उठाना सामान्य हो जाना चाहिए... हम सभी को एक होकर रहना होगा. हमारी अर्थव्यवस्था कोविड के बाद सामान्य स्थिति में लौट रही है. विश्व अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि यह आगे बढ़ेगा. खेलों में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं. परिवर्तन दुनिया का नियम है, लेकिन सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए.
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