कोऑपरेटिव बैंक की भर्तियों में भी धांधली, ऐसे किया भर्ती पर खेल

देहरादून : जिला सहकारी बैंक(डीसीबी) की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती में धांधली का खुलासा हुआ है। भर्ती में बैंकों के बोर्ड और अधिकारियों ने धांधली की। उन्होंने न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया में मनमाने बदलाव किए, बल्कि कई जगह पात्र अभ्यर्थियों के नंबरों को गलत तरीके से बदल दिया।

वहीं, चहेतों को खेल के फर्जी प्रमाणपत्रों पर भी नंबर दे दिए। यह खुलासा, इन भर्तियों की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट से हुआ है। समिति ने देहरादून, पिथौरागढ़ के बाद यूएसनगर डीसीबी में हुई भर्तियों की जांच रिपोर्ट सचिव सहकारिता बीवीआरसी पुरुषोत्तम को सौंप दी है।

क्या है मामला: जिला सहकारी बैंक की भर्तियों में गड़बड़ी को लेकर सरकार को शिकायतें मिली थीं। धामी-2.0 में सहकारिता विभाग का जिम्मा दोबारा मिलने के 24 घंटे में ही कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह ने भर्तियों में गड़बड़ी की जांच के आदेश दे दिए थे। इसके लिए उप निबंधक नीरज बेलवाल और मान सिंह सैनी को जिम्मेदारी सौंपी गई। जांच समिति ने सबसे पहले देहरादून डीसीबी और फिर पिथौरागढ़ डीसीबी की जांच कर रिपोर्ट दे दी।

अब ऊधमसिंहनगर डीसीबी की भी जांच पूरी हो गई है। शासन के सहकारिता विभाग के सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर धांधली का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि तीनों बैंकों ने अपने स्तर पर भर्ती प्रक्रिया के मानकों में बदलाव कर दिया। नियम था कि स्कूल,कॉलेज व डिग्री कॉलेज में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त संचालित गतिविधियों के भी नंबर दिए जाएंगे।

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बैंकों ने सिर्फ खेलकूद प्रमाणपत्र को मानते हुए नंबर दिए जबकि एनसीसी, एनएसएस समेत कई अहम गतिविधियों के प्रमाणपत्रों के नंबर नहीं दिए गए। खेल के फर्जी प्रमाणपत्रों के भी नंबर दे दिए गए। चहेतों को जिला फुटबॉल लीग के एक ही साल के कई सर्टिफिकेट के नंबर दिए गए जबकि लीग साल में एक बार ही होती है। जिन वर्षों में लीग हुई भी नहीं, उनके भी नंबर दिए गए।

अनुभव प्रमाणपत्र में भी खेल : नियमानुसार अनुभव के नंबर सहकारिता विभाग, सहकारी संस्थाओं व सहकारी परियोजनाओं में काम करने वालों को ही दिए जाएंगे। एक वर्ष के दो नंबर और इस तरह अधिकतम दस नंबर दिए जाने थे। इसमें भी खेल करते हुए पात्र लोगों को नंबर नहीं दिए गए और अपात्रों को नंबर दे दिए गए।

षड्यंत्र कर बदल दिए नंबर: जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि कई युवाओं के नंबर षड्यंत्र कर बदल दिए गए। देहरादून में ही कई अभ्यर्थी ऐसे रहे, जिन्हें पहले ज्यादा नंबर मिले, बाद में गड़बड़ी कर नंबरों को कम कर दिया गया। इंटरव्यू में जिन्हें कम नंबर मिले, उनके नंबर बाद में बढ़ा दिए गए। फॉर्म की स्क्रूटनी में भी गड़बड़ी की गई।

पूरी मेरिट कर दी प्रभावित: बैंक प्रबंधन व अफसरों ने मिलकर भर्तियों की पूरी मेरिट प्रभावित कर दी। खेल, अनुभव, इंटरव्यू के नंबरों में छेड़छाड़ कर मेरिट लिस्ट को पूरी तरह गड़बड़ा दिया गया। इस कारण जो लोग चयनित होने वाले थे, वे इस गड़बड़ी के कारण दौड़ से ही बाहर हो गए। 

करीबियों-रिश्तेदारों पर इनायत: भर्ती में सहकारिता से जुड़े नेताओं, अफसरों के करीबियों और रिश्तेदारों पर खासी इनायत की गई। सहकारिता के तीन व सहकारी बैंक के दो अफसरों के बेहद करीबियों का इस भर्ती में चयन हुआ। पिथौरागढ़ बैंक में एक जीएम के बेटे का चयन हुआ। इन्हीं लोगों के चहेतों के नंबर बढ़ाने के दौरान मेरिट लिस्ट से छेड़छाड़ की गई। कई ऐसे रहे, जो पहले मेरिट में नहीं आ रहे थे, बाद में बैकडोर के जरिए उनकी एंट्री कराई गई।

सरकार बनने से पूर्व ही अफसरों ने कर दिया काम : अफसरों ने आचार संहिता लगने के बाद और नई सरकार के गठन तथा मंत्रालयों के आवंटन से पहले ही पूरे खेल को अंजाम दे दिया। देहरादून डीसीबी की भर्ती को रजिस्ट्रार कार्यालय ने 23 मार्च को मंजूरी दी। इसके महज कुछ ही घंटों में अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग भी करा दी गई। 

पिथौरागढ़ में भर्ती को रजिस्ट्रार स्तर से 21 फरवरी को मंजूरी मिली, यहां ज्वाइनिंग 22 से 24 मार्च के बीच हुई। यूएसनगर में रजिस्ट्रार ऑफिस से 21 फरवरी को मंजूरी मिलने के बाद 16 मार्च को ज्वाइनिंग दी गई। यहां शासन के ज्वाइनिंग न कराने के आदेश को भी ताक पर रखकर नियुक्ति दे दी गई।

रजिस्ट्रार ऑफिस की भूमिका भी संदिग्ध : इस मामले में रजिस्ट्रार ऑफिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। भर्ती को मंजूरी देने से पहले सभी बैंकों से अभ्यर्थियों से जुड़े सभी प्रमाण पत्र मंगाए गए। विज्ञापन, भर्ती नियम, खेल, अनुभव प्रमाण पत्र, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, शारीरिक परीक्षा, इंटरव्यू के नंबर तक मंगाए गए। 

सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने सारे प्रमाणपत्र मंगाकर क्या उनकी जांच भी की गई? भर्ती को किस आधार पर मंजूरी दी गई? यदि बिना प्रमाणपत्र देखे ही मंजूरी देनी थी, तो रिकॉर्ड मंगाया क्यों गया? बताया जा रहा है कि रिकॉर्ड के इसी मूवमेंट के दौरान नंबरों से छेड़छाड़ की गई। अब ये छेड़छाड़ किस स्तर से हुई, इसे लेकर रिपोर्ट में जिक्र नहीं किया गया।

मैं फिलहाल अवकाश पर हूं, लेकिन तीनों जिला सहकारी बैंकों की जांच रिपोर्ट मिल गई है। उसका परीक्षण कराया जा रहा है। जल्द ही इस मामले में पूरा ब्योरा उच्च स्तर पर रखा जाएगा। 

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