शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, कथा और महत्व, यहां जानें नवरात्रि के पहले दिन की विशेष बातें
1st Day Of Navratri Maa Shailputri Puja: आज 26 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का प्रथम दिन है. आज के दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है. आज से प्रारंभ हुई शारदीय नवरात्रि 05 अक्टूबर को विजयादशमी तक चलेगी. आज के दिन सबसे पहले विधिपूर्वक कलश स्थापना करते हैं. उसके बाद मां दुर्गा का आह्वान, स्थापन और प्राण प्रतिष्ठा करते हैं. फिर मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं. आईये जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, कथा और महत्व के बारे में.
कौन हैं मां शैलपुत्री?
दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं. येे नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा. नवरात्रि के प्रथम दिन योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है.
माता शैलपुत्री की कथा
राजा प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया, जिसमें शंकरजी को निमंत्रित नहीं किया गया था. इस बात की जानकारी सती को हुई, तो उनका मन विकल हो उठा. उन्होंने भगवान शिव को इस बारे में बताया. तब शंकर जी ने कहा कि प्रजापति दक्ष उनसे किसी कारण से नाराज हैं, इसलिए यज्ञ में नहीं बुलाए हैं. बिना निमंत्रण वहां जाना ठीक नहीं है.
मां शैलपुत्री पूजा विधि
आज सबसे पहले घटस्थापना और पूजन संकल्प के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें. उनको अक्षत्, सफेद फूल, सिंदूर, धूप, दीप, गंध, फल, मिठाई आदि अर्पित करें. इस दौरान उनके पूजन मंत्र का उच्चारण करें और माता शैत्रपुत्री की कथा पढ़ें. माता शैल.पुत्री को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं या फिर गाय के घी का भी भोग लगा सकते हैं.
इसके बाद घी के दीपक से मां शैत्रपुत्री का आरती करें. पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना मंत्र से करें. मां से पूजा में कमियों और गलतियों के लिए माफी मांग लें. उसके बाद मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.