यूपी के विधायी इतिहास मे जुड़ रहा नया अध्याय; “महिला सदस्यों के लिए आरक्षित”आज का पूरा दिन

लखनऊ : हम सब आभारी है कि देश का सबसे बड़ा विधानमंडल एक नए इतिहास को बनाने के लिए अग्रसर हो रहा है। आजादी के 75 वर्ष के बाद आधी आबादी अपनी आवाज को इस सदन के माध्यम से प्रदेश की 25 करोड़ जनता तक पहुंचेगी। साथ ही साथ ही प्रदेश की समस्याओं और उपलब्धियों को लेकर और अन्य समसामायिक महत्वपूर्ण मुद्दों को इस सदन में रखने का उन्हें अवसर प्राप्त होगा। इसके लिए मैं सभी बहनों का अभिनंदन करता हूं।

ये कार्य पहले होना चाहिए था। आज का पूरा दिन आपने माननीय महिला सदस्यों के लिए आरक्षित किया है। ये सभी अपनी बात रखेंगे। लेकिन शुरुआत में एक प्रारंभिक प्रस्तावन रखने के लिए यहां खड़ा हुआ हूं। मुझे महार्षि वेदव्यास की पंक्तियां याद आती है। जो उन्होंने नारी शक्ति के लिए कहा है..नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गति:। नास्ति मातृसमं त्राणं. नास्ति मातृसमा प्रिया। यानि मां के सामना कोई छाया नहीं, मां के सामान कोई सहारा भी नहीं, मां के सामान कोई रक्षक भी नहीं और मां के सामान कोई प्रिय भी नहीं होता है। मुझे लगता है कि मातृ शक्ति के प्रति ये सम्मान हर नागरिक के मन में आ जाए तो मुझे लगता है कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा नहीं पहली बार हो रहा हो, आजादी के बाद इस दिशा में बहुत अच्छे प्रयास हुए, काफी प्रगति भी हुई। आज उन पर चर्चा भी होगी।

यह भी पढ़े : देश की सुरक्षा में बड़ी सेंध,ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारी चुरा रहे थे बमों के उपकरण

भारत के अंदर बिना भेदभाव के पहले निर्वाचन से पुरुष और महिला को अपना मत देने का अधिकार है। यही नहीं इंग्लैंड जैसे कई देशों में ये अधिकार भारत के बाद मिला। भले वहां लोकतंत्र पहले से रहा हो। ये भारत की ताकत का एहसास पूरे भारत को कराता है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker