तो क्या PFI की साज़िश का हिस्सा था कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब आंदोलन?

दिल्ली : क्या कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब आंदोलन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की साज़िश का हिस्सा था? ये बेहद महत्वपूर्ण सवाल देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में उठा है.  सरकार की तरफ से अदालत में पेश सॉलिसिटर जनरल (महाधिवक्ता) तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सालों से वहां के शैक्षिक संस्थान में छात्र-छात्राएं यूनिफ़ॉर्म का पालन कर रहे थे, कहीं कोई हिजाब का विवाद नहीं था.

एसजी तुषार मेहता ने दावा किया कि, ‘वर्ष 2022 में सोशल मीडिया पर पीएफआई ने हिजाब पहनने को लेकर मुहिम शुरू की. लड़कियों को लगातार संदेश आने लगे कि हिजाब पहना जाए.’ उन्होंने कहा कि ये कुछ बच्चों द्वारा अचानक शुरू किया गया काम नहीं था. ये एक बड़ी साज़िश थी और बच्चे वैसा ही कर रहे थे, जैसी उन्हें सलाह दी गई.’

‘छात्रों से शुरू कराया गया हिजाब आंदोलन’
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ‘हाई कोर्ट के समक्ष रिकॉर्ड रखा गया था. हम यह देख कर चकित थे कि अचानक से शैक्षणिक साल के बीच में ये मुद्दा सामाजिक रोष बनाने के लिए उठा और बहुत तेज़ी से उठा.’ एसजी ने कहा कि हाई कोर्ट ने भी कहा था कि इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘ये बच्चों की अपनी सोच नहीं थी. उनसे अचानक से आंदोलन शुरू कराया गया. इस मामले की चार्जशीट तैयार हो रही है.’

तुषार मेहता ने कहा कि यूनिफ़ॉर्म के मामले का किसी भी धर्म से कोई लेना-देना नहीं था. हिजाब के बाद कुछ बच्चे भगवा शॉल पहनकर आने लगे. उन्हें भी रोका गया, तो ये कहना ग़लत होगा कि एक धर्म को निशाना बनाया गया. ये सिर्फ़ और सिर्फ़ यूनिफ़ॉर्म का मामला है.

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