CM धामी का भू-कानून पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी से ज़ादा होगा मजबूत

देहरादून : उत्तराखंड में यदि भू-कानून समिति की सिफारिशें लागू होती हैं, तो व्यवस्थाएं पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के समय से भी अधिक सख्त हो जाएंगी। धामी सरकार का भू-कानून, खंडूड़ी सरकार के भू-कानून से मजबूत होगा। दरअसल भू-समिति ने अपनी सिफारिशों में खंडूड़ी सरकार के भू-कानून की खामियां को भी दूर करने की भी बात कही है। इससे राज्य में जमीनों की बंदरबांट पर रोक लगेगी। राज्य के लोग भूमिहीन नहीं हो पाएंगे व भूमाफिया से भी जमीनें सुरक्षित रहेंगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने भू-कानून समिति की सिफारिशों को लागू कर, उत्तराखंड में इतिहास रचने का मौका होगा। अभी राज्य में नगर निगम की सीमा से बाहर ग्रामीण क्षेत्र में बाहरी लोग 250 वर्ग मीटर भूमि से ज्यादा जमीन नहीं खरीद सकते। लेकिन कानून की खामियों के कारण लोग इसमें भी खेल कर रहे हैं। भू-कानून समिति की सिफारिशों में इस खेल को भी बंद करने का इंतजाम किया गया है।

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एक परिवार के सभी लोगों का आधार नंबर राजस्व खाते से लिंक कर फर्जीवाड़ा रोकने का उपाय सुझाया गया है। इसी तरह निवेश के नाम पर बड़ी-बड़ी जमीनें घेरने वालों पर भी नकेल कसने का प्रावधान किया गया है। सिफारिश की गई है कि जमीनों पर यदि उद्योग या अन्य व्यावसायिक गतिविधि होती है तो उसमें 70 प्रतिशत रोजगार, स्थानीय लोगों के लिए सुनिश्चित कराना होगा।

खेती और उद्यान के नाम पर कृषि भूमि लेकर खेल करने पर भी रोक लगाने की व्यवस्था की गई है। लोगों की जमीनें बची रहें, इसके लिए भूमि को लीज पर देने का मानक प्रस्तावित किया गया है। पहाड़ों पर बढ़ते अवैध निर्माण के चलते बने धार्मिक स्थलों पर भी नकेल कसने के प्रावधान किए गए हैं।

राज्य के लोग भूमिहीन न हो,उनके हकहकूक सुरक्षित रहें, सिफारिशों में इसका भी इंतजाम किया गया है। ऐसे में इन सिफारिशों को लागू कर सीएम के सामने अपना नाम उत्तराखंड के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज कराने का मौका है। इसके जरिए न सिर्फ उनका सियासी कद बढ़ेगा, बल्कि वे राजनीतिक रूप से भी बढ़त बना सकते हैं।

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