‘बिहार में खुल गई तुष्टिकरण की दुकान’, भाजपा नेताओं का नीतीश सरकार पर प्रहार

बिहार में राजनीतिक उठापटक के बीच नीतीश कुमार एक बार फिर से आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। वह इस बार महागठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री बने हैं। हाल में ही नीतीश कुमार ने एनडीए से अपना नाता तोड़ दिया था। इसके बाद उन्हें राजद, कांग्रेस और वाम दलों के विधायकों ने अपना नेता नियुक्त किया। नीतीश कुमार के साथ तेजस्वी यादव फिलहाल बिहार में उपमुख्यमंत्री है। कुल मिलाकर देखें तो पहले नीतीश कुमार के साझेदार रही भाजपा अब विपक्ष में है। इसके साथ ही भाजपा की ओर से अब नीतीश कुमार पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा जा रहा है। अब भाजपा नेताओं की ओर से महागठबंधन बनने के साथ ही बिहार में तुष्टिकरण की राजनीति का भी आरोप लगाया जा रहा है।

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दरअसल, शिक्षा विभाग की ओर से जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक पत्र लिखा गया था। इसी पत्र को भाजपा नेता आप ट्वीट कर कई आरोप लगा रहे हैं। प्राथमिक शिक्षा विभाग के निदेशक रवि प्रकाश ने इस पत्र के जरिए राज्य में उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों के संबंध में जानकारी मांगी है। इसमें सवाल किया गया है कि कितने सामान्य शिक्षक पद स्वीकृत हैं और कितने शिक्षक कार्यरत हैं, कितने पद रिक्त हैं और कुल नियुक्त शिक्षकों में अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या और प्रतिशत क्या है? इसी को लेकर केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश सरकार पर हमला किया है। गिरिराज सिंह के साथ-साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री रेनू देवी ने नीतीश सरकार को घेरा है।

गिरिराज सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा कि संस्कृत पर कोई निर्णय नहीं हुआ है लेकिन उर्दू पर फैसला आ गया है। केंद्रीय मंत्री की ओर से आरोप लगाया गया है कि सरकार बनने के 24 घंटे के भीतर ही तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हो गई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री रेनू देवी ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि नहीं सरकार में संस्कृत पर कोई फैसला नहीं आया। लेकिन उर्दू पर आ गया है। तुष्टिकरण की पूरी दुकान खुल गई है। इसके साथ ही रेनू देवी ने कहा है कि समाज में आपसे वैमनस्यता फैलाकर कुशासन का राज चलाने वालों को जनता सबक सिखाएगी।

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