उत्तराखंड : एक दशक में तैयार की गईं दुर्लभ जड़ी-बूटियों की नर्सरी
दिल्लीः एक दशक में तैयार की गईं दुर्लभ जड़ी-बूटियों की नर्सरी।
जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान ने बीते एक दशक में 100 से ज्यादा प्रजातियों के पौधों वाली नर्सरी तैयार की है. इस नर्सरी में 60 फीसदी दुर्लभ जड़ी-बूटी के पौधे तैयार किए गए हैं. संस्थान के मुख्यालय के पास ही इस नर्सरी को तैयार किया गया है. इससे इन उपयोगी पौधों का संरक्षण सरल हो जाएगा.
उत्तराखण्ड में जड़ी-बूटी की अपार संभावनाएं हैं. कई बीमारियों का इलाज पहाड़ी इलाकों में वैद्य इन्हीं जड़ी बूटियों से करते आए हैं. इन उपयोगी जड़ी-बूटियों में से कुछ विलुप्त हो रही हैं. उन्हें संरक्षित करने के लिए जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान ने नर्सरी तैयार की है और इस नर्सरी से कई किसानों और वैद्य अपने घरों के लिए पौधों को ले जा रहे हैं.
जलवायु परिवर्तन के कारण नष्ट हो रही जड़ी-बूटियां
जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील नौटियाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का दुनिया में तेजी से प्रभाव पड़ रहा है जिसे लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं. इसका असर अब तेजी से जड़ी-बूटियों पर भी पड़ रहा है. संस्थान ने कई जड़ी बूटियों को संरक्षित किया है, जो लगभग खत्म हो रही थीं. ऐसे में ये औषधीय पौधे लोगों के बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक साबित होंगे. संस्थान के तकनीकी सहायक सुबोध ऐरी का कहना है कि मुख्यालय के पास ही नर्सरी को तैयार किया है जिसमें कई प्रजाति की जड़ी-बूटियां और अन्य उपयोगी पौधे लगाए गए हैं. यहां से कई वैद्य और काश्तकार पौधों को ले जाते हैं. वे अपने-अपने खेतों और घरों के आसपास ये पौधे लगा रहे हैं.