रोजगार चले जाने से सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की, धरने पर बैठने पर हुए मजबूर
दिल्लीः
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कोरोनाकाल में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने संविदा पर स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती की थी, जिनमें एएनएम, जीएनएम और वार्डबॉय के पदों पर 67 लोगों को यहां नियुक्त किया गया था. अब कोरोना संक्रमण दर कम होने के कारण विभाग ने इन कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिससे इनके सामने आर्थिक संकट गहरा गया है और पिछले 18 दिनों से यह लोग धरना देने को मजबूर हैं. धरना देने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं, जो रोजगार चले जाने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रही हैं.
रोजगार चले जाने से सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की है. उनका कहना है कि कोरोनाकाल में अपनी जान पर खेलकर उन्होंने मरीजों की सेवा की. दो साल बाद उन्हें हटा देना उनके साथ धोखा है. दो महीने पहले इन स्वास्थ्यकर्मियों ने इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन भी किया था.
धरने पर बैठे एक प्रदर्शनकारी पवन नगरकोटी ने कहा कि शासन प्रशासन ने अभी तक उनकी कोई सुध नहीं ली है और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो वे क्रमिक अनशन में लिए बाध्य होंगे. साथ ही उन्होंने अन्य पदों पर हुई नियुक्ति पर भी सवाल किए हैं.
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एचएस ह्यांकी से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने बताया कि इन स्वास्थ्यकर्मियों को कॉन्ट्रैक्ट के तहत रखा गया था. अब शासन से जब इस संबंध में नियुक्ति के आदेश आएंगे, तो रिक्त पदों के सापेक्ष कार्यवाही की जाएगी.