छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया,पिता की मौत के बाद मां ने दूसरी शादी कर ली तो बच्चा कहां रहेगा
दिल्लीः छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाई कोर्ट में बच्चे की कस्टडी को लेकर बड़ा फैसला आया है. 4 साल के मासूम की कस्टडी को लेकर दादा-दादी की अपील पर हाई कोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि मां के पुनर्विवाह से बच्चें की अभिरक्षा प्राप्त करने की अभिलाषा समाप्त हो सकती है. कोर्ट ने कहा कि बच्चा अपनी इच्छा अनुसार दादा दादी की अभिरक्षा में रह सकता है. फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दादा दादी ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की थी.
दरअसल जिला जांजगीर -चांपा के डबरा थाना निवासी उमाशंकर जोल्हे की शादी सुमन जोल्हे से अप्रैल 2012 को हुई. दोनों का एक बेटा हुआ, जिसका नाम हर्ष रखा गया. हर्ष के 3 वर्ष के होने पर पति पत्नी का विवाद इतना बढ़ा की वे दोनों अलग हो गए. इस बीच उमाशंकर ने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर लिया, जिसकी वजह पत्नी और उसके परिवार को बताया. पत्नी के खिलाफ धारा 306 दर्ज हुआ पर पत्नी आदालत से बरी हो गई. पिता की मौत के बाद बच्चा अपने दादा दादी के साथ रह रहा था. पति से अलग रह रही सुमन ने पुनर्विवाह कर लिया और उससे एक बच्चा भी है.
बच्चे के लिए कोर्ट पहुंची
इधर सुमन ने परिवार न्यायालय में बच्चें की अभिरक्षा के लिए याचिका दायर किया, जहां परिवार न्यायालय ने सुमन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बच्चें की अभिरक्षा उसे दे दी. परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए दादा दादी ने अधिवक्ता पराग कोटेचा के माध्यम से हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की. कोर्ट ने बच्चें की इच्छा पूछा, जिसमे बच्चे ने कहा कि वह दादा दादी संग रहना चाहता है. जस्टिस गौतम भादुड़ी ने बच्चे की इच्छा अनुसार परिवार न्यायालय के आदेश को निरस्त किया. साथ ही बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा की मां के पुनर्विवाह से बच्चें की अभिरक्षा प्राप्त करने की अभिलाषा समाप्त हो सकती है, बच्चा अपनी इच्छा अनुसार दादा दादी की अभिरक्षा में रह सकता है.