मध्य प्रदेश: निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी

दिल्लीः दरअसल चुनाव में होने वाले खर्च का ब्यौरा सभी प्रत्याशियों को निर्वाचन आयोग को देना होता है। कहां कितने पैसे प्रत्याशी खर्च कर सकते हैं इसके लिए दरें भी पहले से तय रहती हैं। अब इस मार्गदर्शिका में जिला प्रशासन के द्वारा शराब का भी जिक्र किया गया है। इसमें शराब की करीब 250 ब्रांडों की एक लिस्ट सौंपी गई है। लिस्ट में शामिल देशी-विदेशी शराब की कीमतें भी बताई गई हैं। 

जिसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या प्रत्याशी अब मतदाताओं को लिस्ट में दिये गये दर के हिसाब से शराब पिला सकते हैं। कांग्रेस ने अब इस मामले में आबकारी विभाग के खिलाफ निर्वाचन आयोग से शिकायत की है। राज्य निर्वाचन आयोग को पार्टी के द्वारा लिखे गए एक खत में कहा गया है कि प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में खर्च के संबंध में सहायक आबकारी आयुक्त माधुसिंह भयडिया ने अपने कार्यालय द्वारा जारी पत्र में शराब की बिक्री के संबंध में दरें निर्धारित की है। 

मध्य प्रदेश कांग्रेस के चुनाव प्रभारी जेपी धनोपिया ने इस खत में चुनाव आयोग से आगे कहा है कि किसी भी प्रत्याशी के द्वारा किसी भी मतदाता को शराब नहीं पिलाई जा सकती है और ना ही शराब की कीमत का भुगतान किया जा सकता है।

शासकीय स्तर पर इस तरह का पत्र जारी होने से यह संदेश जा रहा है कि मतदाताओं द्वारा सरेआम प्रत्याशियों को कहा जा कहा है कि शराब खर्च तो आपके चुनावी खर्च में शामिल होगा इसलिए आप शराब पिलाओ या उसकी कीमत नगद दो तब ही आपको वोट मिलेगा। यह पूरी तरह से आचार संहिता का उल्लंघन है। कांग्रेस नेता ने इस मामले में अब कार्रवाई की मांग की है।

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