बाइडन प्रशासन से असंतुष्ट है अमेरिकी लोग,जाने वज़ह
दिल्लीः अमेरिका में अगले नवंबर में होने वाले चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से बड़ी संख्या ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे से सहमत हैं कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन को धांधली के जरिए विजयी बनाया गया था। अमेरिका में संसदीय और अन्य चुनावों के पहले पार्टियों के भीतर उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया होती है। इसे प्राइमरी कहा जाता है। अब तक रिपब्लिकन पार्टी की प्राइमरी में 108 ऐसे उम्मीदवार चुने गए हैं, जिन्हें ट्रंप का कट्टर समर्थक माना जाता है। ये बात अखबार वाशिंगटन पोस्ट के एक विश्लेषण से सामने आई है।
मंगलवार को प्रकाशित एक जनमत सर्वेक्षण के मुताबिक राष्ट्रपति जो बाइडन की लोकप्रियता गिरने का क्रम लगातार तीसरे हफ्ते जारी रहा। रॉयटर्स-इस्पोस सर्वे के मुताबिक राष्ट्रपति के कामकाज को एप्रूव करने वाले (यानी संतुष्ट) लोगों की संख्या 39 फीसदी रह गई है। जबकि उनसे असंतुष्ट लोगों की संख्या 56 फीसदी हो गई है।
राजनीतिक टीकाकारों का कहना है कि देश में बढ़ती महंगाई जो बाइडन के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ईंधन की तेज गति से बढ़ी महंगाई ने बाइडन प्रशासन से असंतुष्ट लोगों की संख्या में काफी इजाफा किया है। अब डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक मतदाताओं में भी उनकी एप्रूवल रेटिंग 74 फीसदी रह गई है, जबकि पिछले अगस्त ये संख्या 85 फीसदी थी। यह ट्रेंड डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बड़ा सिरदर्द बना हुआ है।
इस बीच रिपब्लिकन प्राइमरी में ट्रंप समर्थकों को मिली बड़ी सफलता से अमेरिका के उदारवादी खेमों में चिंता बढ़ गई है। थिंक टैंक स्टेट्स यूनाइटेड डेमोक्रेसी सेंटर की संस्थापक जोआना लिडगेट ने अखबार वॉशिंगटन पोस्ट से कहा- ‘जिन पदों पर ये लोग बैठेंगे, वे महत्त्वपूर्ण हैं। इन लोगों के ऊपर ही ये निर्भर करेगा कि हमारा लोकतंत्र कायम रह पाता है या नहीं।’