छत्तीसगढ़: वन्यप्राणियों का शिकार करने से नहीं बाज आ रहे है शिकारी
दिल्लीः छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। वन्य प्राणियों के शिकार के मामले भी लगातार फूट रहे हैं। कोरिया में बाघ का शिकार व बिलासपुर के सीपत में करंट से चीतल को मारने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब गरियाबंद जिले में भालू के शिकार का मामला सुर्खियों में है। वन विभाग ने 3 शिकारियों को गिरफ्तार किया है। शिकारियों से भालू के अंग, चीतल की खाल और सोग बरामद किया है। तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है। जांच में पता चला कि आरोपियों ने भालू ही नहीं बल्कि और भी वन्यप्राणियों का शिकार किया है।
गरियाबंद वनमण्डलाधिकारी मंयक अग्रवाल ने बताया ने बताया कि उर्तुली परिसर के आमदी गांव में कक्ष क्रमांक 641 सतीनदी के पास वन्यप्राणी भालू के अवैध शिकार की घटना की सूचना मिली थी। जांच के लिए जंगल सफारी से डॉग स्क्वॉड की टीम को बुलाया गया। जांच के दौरान डॉग स्क्वॉड प्यारेलाल ध्रुव निवासी जैतपुरी के घर और बाड़ी पर गया। बाड़ी के भीतर 1 नग चीतल का खाल (सूखा) बरामद किया गया। इसी तरह आमदी (द) निवासी चैतराम गोड़ के घर वालों से पूछताछ करने और जांच में भालू के शरीर का अवशेष, 3 नग नाखून उसके घर से बरामद किया गया।
शिकार में प्रयुक्त कुल्हाड़ी सहित अन्य औजार वन विभाग ने बरामद किया गया। चैतराम ने कुल्हाड़ी से पंजा काटना स्वीकार किया। चैतराम से पूछताछ करने पर अपने साथी मोहन चक्रधारी ग्राम आमदी (द) को भी शिकार में शामिल होना बताया गया। उसके घर की जांच करने पर चीतल का 1 नग सींग और भालू का गुप्तांग बरामद किया गया। तीनों आरोपियों चैतराम ध्रुव, मोहन चक्रधारी और प्यारेलाल ध्रुव के विरूद्ध वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 39 (1) 44, 49, 50, 51, 52 एवं 57 के तहत न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया।