योग्यता की डिग्री

एक बार रूस के प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय को अपना काम-काज देखने के लिए एक निजी सहायक की ज़रूरत पड़ी। कुछ दिनों बाद उनके एक दोस्त ने किसी युवक को उनके पास भेजा। उसके पास बहुत तरह के सर्टिफिकेट और डिग्रियां थीं।

वह युवक टॉलस्टॉय से जाकर मिला, बातचीत हुई, मगर युवक को वहां नौकरी नहीं मिली। टॉलस्टॉय ने एक ऐसे युवक को अपना सहायक बना लिया जो न तो इतना योग्य था और न ही उसके पास इतने अनुभव और प्रमाण पत्र थे।

मित्र ने उससे कहा, ‘क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूं?’ टॉलस्टॉय ने कहा, ‘मित्र, जिस व्यक्ति का मैंने चयन किया है, उसने मेरे कमरे में आने से पहले मेरी अनुमति ली। दरवाजे पर रखे गए डोरमैट पर जूते साफ करके रूम में प्रवेश किया। उसके कपड़े साधारण लेकिन स्वच्छ थे।

मैंने उससे जो प्रश्न किए, उसने बिना घुमाए-फिराए उत्तर दिए और अंत में साक्षात्कार पूरा होने पर वह मेरी अनुमति लेकर विनम्रतापूर्वक वापस चला गया। उसने कोई अनुनय-विनय नहीं किया। वह न ही किसी की अनुशंसा लाया था।

अधिक पढ़ा-लिखा न होते हुए भी उसे अपनी योग्यता पर विश्वास था। इतने सारे प्रमाणपत्र बहुत कम लोगों के पास होते हैं।’ टॉलस्टॉय ने कहा, ‘तुमने जिस व्यक्ति को भेजा था, वह सीधा ही कमरे में चला आया।

बिना आज्ञा लिए कुर्सी पर बैठ गया और अपनी योग्यता बताने के स्थान पर तुमसे परिचय के विषय में बताने लगा। अब तुम्हीं बताओ, उसकी इन डिग्रियों की क्या कीमत है?’ मित्र टॉलस्टॉय की बात समझ गया।

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