घातक रंग की पॉलिस वाली अरहर दाल बेचने वाले दुकानदार को सजा
टट्राजिन जैसे घातक रंग की पॉलिस वाली अरहर की दाल की बिकी करने वाले दुकानदार को अदालत ने मिलावटी सामान बेचने का दोषी करार दिया है। अदालत ने इस दुकानदार को दिनभर कोर्टरूम में खड़े रहने की सजा सुनाई। साथ ही दुकानदार पर 45 हजार रुपये का जुर्माना भी किया है। अदालत ने कहा कि टट्राजिन जैसा घातक रंग कई बीमारियों को जन्म देता है। साथ ही यह कई बार जानलेवा भी बन जाता है।
पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंटिल की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। यह मामला सीधे-सीधे बेकसूर लोगों की जान से खेलने के बराबर है, लेकिन इस तथ्य को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि दुकानदार पिछले 16 साल से इस मुकदमे का सामना कर रहा है। इस लम्बी प्रक्रिया को देखते हुए अदालत उसकी सजा में नरम बरत रही है।
अदालत ने यह भी कहा कि यह मामला बहुत पुराना है इसलिए मिलावटी सामान के लिए बनाए गया नया कानून इस पर लागू नहीं होता है। नए कानून के तहत जानलेवा मिलावटी सामान की बिक्री करने वाले के लिए उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। अदालत ने दुकानदार को निर्देश दिया है कि 30 दिन के भीतर वह जुर्माना रकम अदालत में जमा करा दे अन्यथा दो महीने की जेल की सजा काटनी होगी।
खाद्यय अपमिश्रण निवारण अधिनियम के तहत खाद्यय अधिकारी ने 27 मई 2005 को बुराड़ी इलाके से स्थानीय एसडीएम की उपस्थिति में अरहर की दाल का सैम्पल उठाया था। इस सैम्पल को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया।
लैब से जांच के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया कि इस दाल में टट्राजिन नामक घातक रंग की पॉलिस की गई है। इस मामले में विशेष अदालत ने दोषी दुकानदार को एक साल की जेल की सजा की सुनाई थी। साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना किया था।
परन्तु सत्र अदालत ने दुकानदार की अपील पर सुनवाई करते हुए दोषी दुकान की सजा को घटा दिया और जुर्माने की रकम को 45 हजार तक बढ़ा दिया। अदालत ने कहा कि यह मुकदमा बहुत लम्बा खींच कर गया। इसी को ध्यान में रखते हुए सजा में बदलाव किया जा रहा है।
किसी भी खाद्यस पदार्थ में टट्राजिन रंग का लगातार इस्तेमाल करने से बहुत सारी गंभीर बीमारी हो सकती हैं। जिनमें कुछ निम्न हैं।
पित्ती की बीमारी
एलजिँक रिएक्शन के कारण नलिकाओं जिसमें होंठ, जीभ, गले और गर्दन पर सूजन आना
अस्थमा
एटॉपिक डर्मेटाइटिस अर्थात पूरे शरीर की त्वचा पर लाल दाने उभर आना। इससे खून के प्रवाह में दिक्कत आती है।
खाध्य अपचन
लम्बे समय तक लगातार सेवन से कैंसर जैसी बीमारी भी हो जाती है
चमकीली दालों से बचें, ऐसे करें पहचान
विशेषज्ञों का मानना है कि अक्सर में बाजार में जाकर चमकदार चीजों को पसंद करते हैं, जबकि यह चमकदार खाद्यय पदार्थ ही शरीर को नुकसन पहुंचाने का जरिया होते हैं। खासतौर पर दालों को चमकाने के लिए टट्राजिन नामक घातक रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
इसलिए दाल खरीदते समय उसकी चमक नहीं वास्तविकता पर ध्यान दें। विशेषज्ञों का कहना है कि दाल पर रंग पहचानने के लिए उसे बनाने से पहले कुछ समय के लिए बर्तन में भिगो कर रख दें।
पानी में कुछ समय रहने पर दाल से रंग छूटना शुरु हो जाता है। इससे पता लगाया जा सकता कि दाल पर रंग है या नहीं। मिलावटी दाल खान ेसे यह बचने का यह सर्वोत्तम तरीका है।