हमीरपुर : ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जन्म पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए
सुमेरपुर कस्बे की वर्णिता संस्था के तत्वावधान में विमर्श विविधा के अंतर्गत समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए.
संस्था के अध्यक्ष डा. भवानीदीन ने कहा कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर सच्चे अर्थों में समाज उत्थान व लोकसेवा मे संलग्न रहे.
ये बंगाल के मेदिनीपुर के वीरसिह गांव में ठाकुर दास बंदोपाध्याय के घर 26 सितंबर 1820 को जन्मे थे.
इनकी प्रतिभा को देखते हुए विद्यासागर की उपाधि दी गई थी.
स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक विद्यासागर ने विद्यार्थियों, विधवाओं सहित अनेक लोगों को मदद कर आर्थिक संकट से उबारा था.
उनके अथक प्रयासों से 1865 में विधवा पुनर्विवाह को वैध कर कानून बना. अपने जीवन के अंतिम 20 वर्षों में बिहार के जामताड़ा जिले के आदिवासियों के कल्याण के लिए उनके बीच रहकर कार्य किया.
राजा राममोहन राय के बाद समाज सुधार के क्षेत्र में ईश्वर चंद्र विद्यासागर का स्थान आता है.
इन्होने 35 स्कूल खुलवाने के साथ 52 पुस्तकें लिखी. जिनमे 17 पुस्तकें संस्कृत मे, पांच पुस्तकें अंग्रेजी व शेष बंगला भाषा मे लिखीं. कार्यक्रम में अवधेश कुमार गुप्त एडवोकेट, राजकुमार सोनी सर्राफ, पिन्कू सिंह, विजय चौरसिया, लल्लन गुप्ता व प्रांशु सोनी मौजूद रहे।