गैरी कर्स्टन को 2007 में केवल सात मिनट में कैसे मिला भारतीय क्रिकेट टीम के कोच का पद?

नई दिल्ली। कोचिंग में उनकी दिलचस्पी नहीं थी और उन्होंने भारतीय टीम के कोच पद के लिए आवेदन भी नहीं किया था, लेकिन गैरी कर्स्टन को 2007 में केवल सात मिनट में यह महत्वपूर्ण पद मिल गया था। इसमें महान सुनील गावस्कर की भूमिका भी अहम रही थी। कर्स्टन ने ‘क्रिकेट कलेक्टिव पॉडकास्ट’ में 2007 में घटी उन घटनाओं का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि वह सुनील गावस्कर के निमंत्रण पर साक्षात्कार के लिए गये थे जो कि तब कोच चयन पैनल का हिस्सा थे। कर्स्टन के सामने उनके पूर्ववर्ती ग्रेग चैपल का अनुबंध रखा गया था और आखिर में उन्हें यह पद मिल गया।

गैरी  कर्स्टन ने कहा, ”मुझे सुनील गावस्कर का ईमेल मिला था कि क्या मैं भारतीय टीम का कोच बनना चाहूंगा।” उन्होंने कहा, ”मुझे लगा कि यह मजाक है। मैंने इसका जवाब भी नहीं दिया। उन्होंने मुझे एक और मेल भेजा जिसमें कहा था कि क्या आप इंटरव्यू के लिए आना चाहोगे। मैं उसे अपनी पत्नी को दिखाया और उसने कहा कि उनके पास कोई गलत व्यक्ति है।”

कर्स्टन ने कहा, ”इस तरह से अजीबोगरीब ढंग से मेरा इस क्षेत्र में प्रवेश हुआ जो सही भी था। मेरे कहने का मतलब है कि मुझे कोचिंग का किसी तरह का अनुभव नहीं था।” कर्स्टन ने कहा कि जब वह इंटरव्यू के लिए भारत पहुंचे तो उन्हें तत्कालीन कप्तान अनिल कुंबले से मिलने का मौका मिला और दोनों मेरी दावेदारी की संभावना पर हंस पड़े थे।

उन्होंने कहा, ”मैं इंटरव्यू के लिए पहुंचा तो कई अजीबोगरीब अनुभव हुए। जब मैं इंटरव्यू के लिए आया तो मैंने अनिल कुंबले को देखा जो तब भारतीय कप्तान थे और उन्होंने कहा था कि आप यहां क्या कर रहे हो। मैंने कहा कि मैं आपका कोच बनने के लिए इंटरव्यू देने आया हूं।”

कर्स्टन ने कहा, ”मैं बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) अधिकारियों के सामने था और माहौल काफी गंभीर था। बोर्ड के सचिव ने कहा, ”मिस्टर कर्स्टन क्या आप भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर अपना दृष्टिकोण पेश करोगे। मैंने कहा कि मेरे पास कुछ भी नहीं है। किसी ने भी मुझसे इस तरह की तैयारी करने के लिए नहीं कहा था। मैं अभी यहां पहुंचा हूं।”

उन्होंने कहा, ”समिति में शामिल रवि शास्त्री ने मुझसे कहा, ‘गैरी हमें यह बताओ कि दक्षिण अफ्रीकी टीम के रूप में भारतीयों को हराने के लिए आप क्या करते थे। मुझे लगा कि माहौल हल्का करने के लिए यह बहुत अच्छा था, क्योंकि मैं इसका उत्तर दे सकता था और मैंने दो तीन मिनट में उसका जवाब दिया भी पर मैंने ऐसी किसी रणनीति का जिक्र नहीं किया जो हम उस दिन उपयोग कर सकते थे।”

मेरा इंटरव्यू केवल सात मिनट तक चला    
कर्स्टन ने कहा, ”वह और बोर्ड के अन्य सदस्य काफी प्रभावित थे, क्योंकि इसके तीन मिनट बाद बोर्ड के सचिव ने मेरे पास अनुबंध पत्र खिसका दिया था। मेरा इंटरव्यू केवल सात मिनट तक चला था।” उन्होंने कहा कि उन्हें जो अनुबंध दिया गया था उस पर निर्वतमान कोच ग्रेग चैपल का नाम लिखा था।

कर्स्टन ने कहा, ”मैंने अनुबंध हाथ में लिया और पहला पेज देखा तो अपना नाम ढूंढने लगा। मैंने अपना नाम नहीं देखा, लेकिन मुझे ग्रेग चैपल का नाम दिखा जो पूर्व कोच थे।”  उन्होंने कहा, ”इसलिए मैंने उसे वापस खिसका कर कहा कि सर, आपने मुझे अपने पिछले कोच का अनुबंध सौंपा है। उन्होंने अपनी जेब से पेन निकाला और उनका (चैपल) नाम काटकर उस पर मेरा नाम लिख दिया था।”

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