डिप्टी सीएम का मॉडल अधिकारियों को पसंद नहीं, कहा- अपमान हो रहा, विजय सिन्हा बोले- गलत बर्दाश्त नहीं

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जब से डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने जनसंवाद मॉडल लागू किया है, तब से उनके विभाग के अधिकारी नाराज हो गए हैं। नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि इन अधिकारियों ने सामूहिक बहिष्कार की चेतावनी तक दे दी। इधर, विजय सिन्हा ने स्पष्ट कह दिया है, वह किसी भी कीमत पर झुकने वाले नहीं हैं। आइए जानते हैं पूरा मामला…
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई सरकार बनने के बाद डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की कमान संभाली। कमान संभालते ही उन्होंने उन्होंने जनसंवाद मॉडल लाने का निर्देश दिया। वह पटना समेत कुछ जिलों में जनसंवाद का आयोजन भी कर चुके हैं। अब इसी जनसंवाद मॉडल का विरोध राजस्व अधिकारियों ने सामूहिक रूप से कर दिया है। बिहार राजस्व सेवा संघ (बिरसा) की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश् कुमार को पत्र लिखा गया। इसमें स्पष्ट लिखा गया कि लगातार सार्वजनिक अपमान से न केवल अधिकारियों का मनोबल टूटेगा, बल्कि प्रशासन की प्रभावशीलता भी समास हो जाएगी। यह स्थिति अंततः राज्य सरकार एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध होगी। इसलिए इस पर फौरन लगाम लगाया जाए।
वहीं डिप्टी सीएम ने स्पष्ट कहा है कि मैंने किसी को गाली नहीं दिया। किसी को अपमानित नहीं किया। जनता के सामने समस्या का समाधान निकाला जा रहा है। जनता की परेशानी को कम करने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। विभाग में कुछ लोग सुधार नहीं चाहते हैं। अब जो भी लापरवाही करेंगे, उनपर कार्रवाई तो होगी ही। भूमाफियों का राज नहीं चलेगा। जनता से ऊपर कोई नहीं है। जमीन से जुड़ी कई शिकायत जनता की ओर से सामने आई है। इन शिकायतों के समाधान के लिए ही यह सब काम किया जा रहा है। डिप्टी सीएम ने कहा कि मैं किसी दबाव में आकर काम नहीं करता हुं। विभाग में किसी कीमत पर अराजकता का माहौल स्वीकार नहीं किया जाएग।
अब जानिए बिरसा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में क्या कहा…
बिरसा ने सीएम नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा कि विगत कुछ समय से राजस्य एवं भूमि सुधार मंत्री विजय सिन्हा की ओर से सार्वजनिक मंचों, मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जिस प्रकार की बयानबाजी की जा रही है, उसने न केवल राजस्व प्रशासन की गरिमा को गहरा आघात पहुंचाया है, बल्कि एक संपूर्ण सेवा संवर्ग को जानबूझकर सार्वजनिक उपहास एवं उन्माद का विषय बना दिया है। मंत्री कह रहे हैं कि “खड़े-खडे सस्पेंड कर देंगे”, “यहीं जनता के सामने जवाब दो”, “स्पष्टीकरण लो और तुरंत कार्रवाई करो”, “ओन द स्पॉट फैसला होगा” जैसे संवाद किसी संवैधानिक लोकतंत्र के अनुरूप नहीं है। यह भाषा न तो प्रशासनिक विवेक का परिचायक है और न ही विधि के शासन की। राजस्व विभाग की वर्तमान ‘जन संवाद’ ‘फील्ड ट्रायल’ ‘इमहेड कोर्ट मार्शल, या ‘मॉय जस्टिस की भाषा लोकतांत्रिक प्रशासन की नहीं, बल्कि तमाशाई शासन शैली की प्रतीक है। यह भी खेदजनक है कि सार्वजनिक बैठकों के दौरान वर्तमान मंत्री अक्सर यह भूल जाते हैं कि पिछले लगभग दो दशकों में अधिकांश समय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ही सरकार रही है, और अपने वक्तव्यी में पूर्ववती मंत्रियों एवं विभागीय प्रमुखों के योगदान को नकारते हुए ऐसा आभास कराते हैं मानो पूर्व की सभी मंत्री एवं विभागीय नेतृत्व पूर्णतः निष्क्रिय रहे हो और विभाग में किसी प्रकार का सुधार हुआ ही नहीं हो, जैसे विगत सौ वर्षों का संपूर्ण प्रशासनिक बोझ अचानक उन्ही के कंधी पर आ पड़ा हो।
राजस्व अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से यह पांच मांग की…
राजस्व अधिकारियों के विरुद्ध सार्वजनिक मंचों पर अमर्यादित एवं दंडात्मक बयानबाजी तत्काल बंद की जाए।
विभागीय निगरानी केवल स्थापित विधिक एवं प्रशासनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से की जाए।
संवाद के लिए प्रधान सचिव महोदय/विभागीय मंत्री महोदय स्तर पर नियमित एवं सुलभ व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
यदि ‘जन संवाद” मोडल लागू करना है तो यह सभी विभागों एवं जनप्रतिनिधियों पर समान रूप से लागू हो।
राजस्व विभाग की ऐतिहासिक एवं संरचनात्मक समस्याओं पर गंभीर नीति-स्तरीय विमर्श किया जाए।





