चार माह बाद दौड़ेगी इंदौर से धार के बीच ट्रेन

मालवा निमाड़ के आदिवासी जिले धार में ट्रेन की छुक-छुक नजर आएगी। धार में रेलवे स्टेशन का काम अंतिम चरण में है और रेलवे ने टीही टनल और ट्रेक का काम भी 95 प्रतिशत पूरा कर लिया है। टनल की फिनिशिंग की जा रही है। रेलवे अफसरों का कहना है कि मार्च माह तक इंदौर से धार के बीच ट्रेन का संचालन शुरू हो सकता है। इस प्रोेजेक्ट में टनल की वजह से काफी देर हुई थी, लेकिन बीते तीन साल में टनल का काम तेजी से हुआ है।

इंदौर से दाहोद होते हुए नई रेल लाइन वड़ोदरा तक बिछेगी। इस नई रेल लाइन से इंदौर से वड़ोदरा,मुंबई के बीच की दूरी कम हो जाएगी। अब इस रुट के लिए ट्रेनों को देवास, उज्जैन,रतलाम होकर जाती है। अभी इंदौर से मुंबई के लिए अवंतिका और तेजस ट्रेन का संचालन होता है। नई रेल लाइन से आदिवासी अंचल देश के पश्चिमी रेल मार्ग से जुड़ जाएगा।

इंदौर-दाहोद रेल परियोजना का काम वर्ष 2008 में शुरू हुआ था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन करने आए थे, लेकिन इस परियोजना के पूर्ण होने में 17 साल लगे। अभी भी कुछ हिस्सों में काम बचा हुआ है।

इस प्रोजेक्ट पर 1873 करोड़ रुपये की लागत आई है। 204 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के बिछाए जाने से मध्य प्रदेश के उत्पादों को गुजरात के बंदरगाहों तक पहुंचाना आसान होगा। यह रेल लाइन पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को भी गुजरात और महाराष्ट्र से जोड़ेगी। इस रेल लाइन में 41 बड़े ब्रिज और 32 छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन भी बनाए गए है। इसके अलावा तीन किलोमीटर की सुरंग भी बनाई गई है।

यह होगा इस प्रोजेक्ट से फायदा

इंदौर-दाहोद रेल रुट से इंदौर से मुंबई के बीच की दूरी 55 किलोमीटर घट जाएगी।

धार-झाबुआ, आलीराजपुर जैसे आदिवासी अंचल पहली बार रेलवे के नक्शे पर आएंगे।

पीथमपुर के उद्योगों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। माल गाड़ी से परिवहन आसान हो जाएगा।

गुजरात के आदिवासी अंचल का संपर्क भी मध्य प्रदेश से हो जाएगा। केवडि़या पर्यटन क्षेत्र को फायदा मिलेगा।

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