लूज मोशन में कैसा होना चाहिए खानपान? 

दस्त एक बहुत ही अनकंफर्टेबल डाइजेशन प्रॉब्लम है, जिसमें बार-बार पानी जैसा स्टूल आता है। इसका कारण इन्फेक्शन, खराब खाना-पानी, एलर्जी, दवाइयों के साइड इफेक्ट या पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में, शरीर में पानी और मिनरल्स की कमी हो जाती है, जिससे कमजोरी, थकान और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।

इसलिए, सही डाइट का चुनाव न सिर्फ लक्षणों को नियंत्रित करता है बल्कि शरीर की रिकवरी को भी तेज करता है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि दस्त के समय किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किनसे बचना चाहिए।

दस्त में क्या खाएं?
सादा खिचड़ी या दलिया: मूंग दाल की पतली खिचड़ी या दलिया पेट को आराम देता है, जल्दी पचता है और जरूरी कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन प्रदान करता है।
केला: पोटैशियम और घुलनशील फाइबर से भरपूर केला पेट ठीक करने और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
दही: दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं, जिससे गट हेल्थ सुधरती है और इन्फेक्शन कम होता है।
उबला आलू: हल्का और स्टार्चयुक्त उबला आलू दस्त में एनर्जी देने और मल को ठोस करने में मददगार है।
सादा टोस्ट या ब्रेड: ये हल्के कार्बोहाइड्रेट पेट को आराम देते हैं और एनर्जी के सोर्स बनते हैं।
नारियल पानी और ओआरएस: डिहाइड्रेशन से बचने के लिए नारियल पानी, ओआरएस घोल या नमक-चीनी का घोल पीना फायदेमंद है।

दस्त में क्या न खाएं?
तेल, मसाले और तला-भुना खाना: यह पाचन तंत्र पर दबाव डालता है और लक्षणों को बढ़ा सकता है।
दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स: दही छोड़कर बाकी दूध, पनीर, क्रीम आदि लैक्टोज इनटोलरेंस के कारण समस्या बढ़ा सकते हैं।
कच्ची सब्जियां और सलाद: इनका ज्यादा फाइबर आंतों को प्रभावित कर दस्त को लंबा खींच सकता है।
कैफीन रिच ड्रिंक्स: कॉफी, स्ट्रॉन्ग चाय पाचन को प्रभावित कर दस्त को बदतर बना सकती हैं।
जंक फूड और प्रोसेस्ड आइटम: चिप्स, बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक आदि पचने में भारी होते हैं और पेट पर एक्स्ट्रा दबाव डालते हैं।
मीठे फल का गाढ़ा जूस: ज्यादा शुगर आंतों में पानी खींचकर दस्त बढ़ा सकती है।
शराब और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स: ये डिहाइड्रेशन और पेट में जलन का कारण बनते हैं।
दस्त के दौरान हल्का, पचने में आसान और हाइड्रेशन बढ़ाने वाला खाना अपनाना चाहिए। पर्याप्त पानी, ओआरएस और सही खानपान से शरीर जल्दी ठीक होता है। अगर लक्षण 2–3 दिन में न सुधरें, खून आए या तेज बुखार हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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