उत्तर कोरिया में नए आईसीबीएम रॉकेट इंजन का परीक्षण

उत्तर कोरिया ने ठोस ईंधन से चलने वाले शक्तिशाली ICBM इंजन का सफल परीक्षण किया, जिसे ह्वासोंग-20 मिसाइल में इस्तेमाल किया जाएगा। किम जोंग उन ने इसे परमाणु ताकत बढ़ाने की दिशा में बड़ी प्रगति बताया। ये नया इंजन मिसाइलों को तेजी से लॉन्च करने और अमेरिकी सुरक्षा कवच को चकमा देने में सक्षम बनाता है।

दुनियाभर के कई देशों मे ंचल रहे तनावपूर्ण माहौल के बीच उत्तर कोरिया से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। जहां उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने एक नए इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) इंजन के परीक्षण का निरीक्षण किया। यह इंजन ठोस ईंधन से चलता है और 1,971 किलोन्यूटन की ताकत पैदा करता है, जो पिछले मॉडलों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। मामले में उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए के मुताबिक, यह इस इंजन का नौवां और अंतिम ग्राउंड टेस्ट था। इसे कार्बन फाइबर से बनाया गया है और इसका इस्तेमाल भविष्य के मिसाइल सिस्टम जैसे ह्वासोंग-20 में किया जाएगा।

ये नया इंजन ठोस ईंधन से चलता है, जिसे छिपाना और तुरंत लॉन्च करना आसान होता है, जबकि पुराने मिसाइलें तरल ईंधन पर आधारित थीं, जिन्हें तैयार करने में ज्यादा वक्त लगता था। ऐसे में इस नए इंजन उत्तर कोरिया की मिसाइल तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता में तेजी आएगी।

अमेरिका को सिधी चुनौती
कुल मिलाकर उत्तर कोरिया पहले ही ऐसी मिसाइलें टेस्ट कर चुका है जो अमेरिका तक पहुंच सकती हैं, लेकिन अब किम मल्टी-वारहेड सिस्टम बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देना आसान होगा। परीक्षण के बाद किम जोंग उन ने इसे आंखें खोल देने वाली प्रगति बताया। साथ ही कहा कि यह उत्तर कोरिया की परमाणु ताकत को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव है।

किम कई बार कर चुके हैं परीक्षण
बता दें कि 2019 में अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता विफल होने के बाद से किम ने बार-बार मिसाइल परीक्षण कर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि किम का मकसद अमेरिका पर दबाव बनाना है ताकि उसे परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता मिले और उसे आर्थिक व रणनीतिक छूट मिल सके।

रूस और चीन के साथ गठजोड़
गौरतलब है कि किम जोंग उन हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिले। उन्होंने रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद के लिए सैनिक और सैन्य उपकरण भेजे हैं। बीजिंग यात्रा के दौरान किम ने द्वितीय विश्व युद्ध की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित सैन्य परेड में हिस्सा भी लिया। एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर कोरिया की स्थापना की वर्षगांठ (9 सितंबर) पर शी जिनपिंग ने किम को पत्र भेजा है और दोनों देशों के बीच रणनीतिक संवाद बढ़ाने की बात कही है।

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