चीन ने माना- मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत से रिश्ते सुधारना बेहतर विकल्प

पीएम नरेंद्र मोदी की रविवार को तियानजिन यात्रा सात वर्षों के बाद पहली चीन यात्रा होगी। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी बहुपक्षीय सहयोग ढांचे को फिर से कायम करने में भरोसे को दर्शाती है।
चीन ने स्वीकार किया है कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत से रिश्ते सुधारना बेहतर विकल्प है। चीन के सरकारी पत्र ग्लोबल टाइम्स में यह दावा किया गया है। इसमें कहा है, भारत-चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष होने पर आपसी संबंधों पर वर्षों से जमी बर्फ पिघलना दोनों देशों के लिए लाभकारी है।
पीएम नरेंद्र मोदी की रविवार को तियानजिन यात्रा सात वर्षों के बाद पहली चीन यात्रा होगी। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी बहुपक्षीय सहयोग ढांचे को फिर से कायम करने में भरोसे को दर्शाती है। हाल में, हिमालयी सीमा पर सैनिकों के बीच मिठाइयों के आदान-प्रदान किया है। कैलास मानसरोवर यात्रा शुरू होना और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें जल्द से जल्द शुरू करने की घोषणा संकेत है कि दोनों देश आपसी संपर्क मजबूत कर रहे हैं। चीन-भारत संबंधों का चरणवार सुधार मुख्यतः साझा रणनीतिक जरूरतों से प्रेरित है। दोनों देश समझ रहे हैं कि अंतहीन सीमा विवादों के बजाय सीमित संसाधनों को आर्थिक विकास एवं अधिक जरूरी रणनीतिक प्राथमिकताओं पर लगाना ज्यादा तर्कसंगत विकल्प है। भारत, चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था। 70 साल से भी पहले, चीन, भारत और अन्य देशों ने साझा रूप से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की वकालत की थी। वे आज भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों का बुनियादी मानदंड है।
अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक निष्पक्षता की ओर ले जाएंगे
एशिया के आर्थिक विकास के डबल इंजन के रूप में वैश्विक दक्षिण साउथ के प्रमुख प्रतिनिधि व एससीओ, ब्रिक्स और जी20 के सदस्य, चीन-भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को और अधिक लोकतंत्र व निष्पक्षता की ओर ले जाने के साझा मिशन पर हैं