तेलंगाना आरक्षण विधेयक को मंजूरी न मिलने पर कांग्रेस नाराज, भाजपा के सामाजिक न्याय पर उठाए सवाल

जयराम रमेश ने कहा कि बिहार में भाजपा उस स्थिति में नहीं थी कि विधेयक में रोड़े अटका सके, लेकिन तेलंगाना में ऐसा किया जा रहा है। बुधवार को तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को तेलंगाना आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी न दिए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए भाजपा पर निशाना साधा और उनके सामाजिक न्याय को कटघरे में खड़ा किया। तेलंगाना आरक्षण विधेयक में पिछड़े वर्ग को तेलंगाना के स्थानीय निकाय चुनाव, शिक्षा और रोजगार में 42 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।
बिहार के आरक्षण विधेयक का दिया उदाहरण
जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि जब बिहार में ऐसा ही आरक्षण विधेयक आया था, तब उसे तुरंत मंजूरी दे दी गई थी। जयराम रमेश ने भाजपा के सामाजिक न्याय पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि भाजपा आरक्षण में रुकावट डाल रही है। कांग्रेस सांसद ने सोशल मीडिया पर साझा पोस्ट में लिखा कि ‘9 नवंबर 2023 में बिहार विधानसभा ने अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण को 65 प्रतिशत बढ़ाने के लिए विधेयक पारित किया गया। इसके बाद विधान परिषद ने 10 नवंबर 2023 को विधेयक पारित हुआ। इसके बाद राज्यपाल ने 21 नवंबर 2023 को विधेयक को मंजूरी दे दी।’
तेलंगाना के मुद्दे पर भाजपा को घेरा
कांग्रेस नेता ने इसके बाद तेलंगाना के आरक्षण विधेयक को लेकर कहा कि ‘तेलंगाना विधानसभा ने 17 मार्च 2025 को आरक्षण बढ़ाकर 67 प्रतिशत करने का विधेयक पारित किया था, जिनमें से पिछड़े वर्ग का आरक्षण 42 प्रतिशत करने का प्रावधान है। एक दिन बाद ही विधान परिषद ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी। 30 मार्च 2025 को विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा और अब चार महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक विधेयक को मंजूरी मिलने का इंतजार हो रहा है।’
जयराम रमेश ने कहा कि बिहार में भाजपा उस स्थिति में नहीं थी कि विधेयक में रोड़े अटका सके, लेकिन तेलंगाना में ऐसा किया जा रहा है। बुधवार को तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया, जिसमें आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी देने की मांग की गई।