धीरेंद्र शास्त्री को महिला तस्कर कहने वाले प्रोफेसर की बढ़ी मुश्किलें, केस दर्ज

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को महिला तस्कर करने वाले प्रोफेसर रविकांत की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। उनके खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज की गई है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर धर्म की आड़ में महिला तस्करी करने का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसते हुए उन्हें नॉन बायोलॉजिकल करार दिया था।

धीरेंद्र शास्त्री ने क्या कहा?
प्रोफेसर के बयान के खिलाफ बागेश्वर धाम जन समिति के धीरेंद्र गौर ने रविवार की रात 12 बजे छतरपुर के बमीठा थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा-

कई लोग धाम के लिए उपद्रव की साजिश रचते हैं। हम हिंदुओं को एक करने में लगे हैं। हमारे ऊपर कितने भी आरोप लगें, लेकिन जब तक शरीर में प्राण है हम हिंदुत्व और हिंदुस्तान की सेवा करते रहेंगे। हम मरते दम तक सनानत परंपरा के लिए लड़ेंगें। अभी तो लोग और न जाने क्या-क्या कहेंगे? 7-16 नवंबर तक हमारी पदयात्रा है, जिसके बारे में सुनकर लोगों के पेट में दर्द हो रहा है।

28 जुलाई को शुरू हुआ मामला
यह पूरा मामला 28 जुलाई की रात लगभग 9 बजे शुरू हुआ। छतरपुर के लवकुछ नगर में 13 महिलाओं को जबरन एंबुलेंस में ले जाते हुए पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि महिलाएं पिछले 6 महीने से बागेश्वर धाम में रह रहीं थीं। इनपर धाम में चेन झपटमारी और चोरी का आरोप खा, जिसके कारण उन्हें बागेश्वर धाम से निकाल दिया गया। महिलाओं को अपने घर जाने का आदेश दिया गया और इसी कड़ी में उन्हें एंबुलेंस में महोबा रेलवे स्टेशन लेकर जाया जा रहा था।

प्रोफेसर रविकांत की पोस्ट वायरल
एंबुलेंस में महिलाओं का वीडियो सामने आने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा-

नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित छोटा भाई धीरेंद्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है। इनकी गहन जांच करवाकर दोषी पाए जाने पर धीरेंद्र को फांसी होनी चाहिए।

क्या है BNS की धारा 353(2)?
पुलिस ने प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ बीएनएस की धारा 353(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। बीएनएस की धारा 353(2) के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के बयान से भावनाएं आहत होती हैं या झूठी जानकारी फैलाई जाती है, तो उसके खिलाफ 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही जरूरत पड़ने पर गिरफ्तारी भी हो सकती है।

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