दिल्ली के 22 किलोमीटर हिस्से से यमुना 80 फीसदी प्रदूषित

रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली में यमुना का 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा है, जो नदी बेसिन की कुल लंबाई का बामुश्किल 2 प्रतिशत है। वह पूरी नदी में प्रदूषण के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से का योगदान देता है।

सरकारी व्यवस्था और सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के बावजूद यमुना देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। दिल्ली में इस समस्या से निपटने के तरीके में बुनियादी बदलाव करने का समय आ गया है।

दिल्ली-एनसीआर में यमुना की सफाई के लिए कार्य एजेंडा को बदलने की जरूरत है। बृहस्पतिवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने एक प्रेस वार्ता में यह बातें कही। उन्होंने यमुना से जुड़ी एक नई रिपोर्ट, यमुना: नदी की सफाई का एजेंडा पेश की।

सुनीता नारायण ने कहा कि यमुना की सफाई की समस्या कोई नई नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में इस पर बड़ी मात्रा में धन खर्च किया गया है। साथ ही, कई योजनाएं शुरू की और उन्हें क्रियान्वित किया गया है। नदी की सफाई का एजेंडा महत्वपूर्ण है, क्योंकि मृत यमुना न केवल शहर और हमारे लिए शर्म की बात है। बल्कि इससे दिल्ली के साथ-साथ नीचे के शहरों को भी स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का बोझ बढ़ जाता है।

नई रिपोर्ट में एक विस्तृत मूल्यांकन और पांच-सूत्री कार्य योजना जारी की है, जिसमें नीति निर्माताओं से प्राथमिकताओं को फिर से निर्धारित करने और अधिक लक्षित, डाटा-संचालित दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया है।

22 किलोमीटर लंबा हिस्सा नदी को 80 प्रतिशत करता है प्रदूषित
रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली में यमुना का 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा है, जो नदी बेसिन की कुल लंबाई का बामुश्किल 2 प्रतिशत है। वह पूरी नदी में प्रदूषण के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से का योगदान देता है।

साल में लगभग नौ महीने नदी में पानी नहीं होता है, इसमें जो बहता है वह दिल्ली के 22 नालों से निकलने वाला मल और कचरा है। रिपोर्ट के अनुसार, वजीराबाद में यमुना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि 2017 से 2022 के बीच चार साल में दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई पर 6,856 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।

मौजूदा समय में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जिनकी क्षमता 80-100 प्रतिशत से अधिक सीवेज को साफ करने की है। यही नहीं, शहर का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा सीवर लाइनों से जुड़ा हुआ है।

यमुना को साफ करने के लिए पांच बिंदू
सीएसई ने एक पांच-आयामी रणनीति का प्रस्ताव रखा जो बुनियादी ढांचे के विस्तार से ध्यान हटाकर बेहतर प्रशासन और योजना पर केंद्रित है। इसमें मल-गाद को उपचार श्रृंखला में शामिल करना, गंदे नालों में उपचारित जल का बहाव रोकना, उपचारित जल का अधिकतम पुनः उपयोग करना, एसटीपी को उन्नत करना और सबसे खराब नालों को निशाना बनाने की जरूरत है।

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