संस्कृत सिखाने के लिए 1008 जगहों पर लगाए जाएंगे शिविर, समापन समारोह में शामिल होंगे अमित शाह

दिल्ली संस्कृत अकादमी और संस्कृत भारती मिलकर 23 अप्रैल से 3 मई तक दिल्ली में 1008 अलग-अलग स्थानों पर संस्कृत भाषा सिखाने के लिए शिविर लगाने जा रहे हैं।

संस्कृत कठिन नहीं, बल्कि ज्ञान-विज्ञान की भाषा है। संस्कृत सब भाषाओं की जननी है और ये कंप्यूटर के लिए उपयुक्त है। इसे जनभाषा बनाने की तैयारी शुरू की जा रही है। दिल्ली संस्कृत अकादमी और संस्कृत भारती मिलकर 23 अप्रैल से 3 मई तक दिल्ली में 1008 अलग-अलग स्थानों पर संस्कृत भाषा सिखाने के लिए शिविर लगाने जा रहे हैं।

यहां कोई भी चाहे किसी भी उम्र या पृष्ठभूमि का हो, केवल 20 घंटे में संस्कृत बोलना सीख सकता है। इस उत्सव का समापन समारोह 4 मई को दिल्ली विश्वविद्यालय में होगा, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। वे इसे लेकर व्यापक योजना की घोषणा भी करेंगे।

कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में संस्कृत भारती के संगठन मंत्री जय प्रकाश ने बताया कि इसका मकसद है कि संस्कृत को फिर से आम लोगों की भाषा बनाना और भारतीय संस्कृति से जोड़ना। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की भाषा है। भारत की संस्कृति को बचाने के लिए संस्कृत भाषा को बचाना जरूरी है।

संस्कृत भाषा को लेकर लोगों के भीतर भ्रांतियां मिटानी होंगी, जैसे कि संस्कृत कठिन है, गलत बोलने पर पाप मिलेगा, ये पूजा पाठ की भाषा है। इस दौरान सांसद मनोज तिवारी, दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा और संस्कृत भारती के दिल्ली प्रांत अध्यक्ष (जीबी पंत अस्पताल में सर्जन) डॉ. वागेश भट्ट मौजूद रहे।

संस्कृत सीखना कठिन नहीं : मनोज
मनोज तिवारी ने कहा कि पहली बार संस्कृत सिखाने के लिए बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है। संस्कृत कठिन नहीं है, इसे सीखने की जरूरत है। यह भारतीय संस्कृति और दर्शन का आधार है। हम चाहते हैं कि इस उत्सव में सब आएं।

संस्कृत फिर वैभव हासिल करेगी
कपिल मिश्रा ने कहा कि सीएम रेखा गुप्ता के निर्देश पर तय किया गया है कि संस्कृत अकादमी इसमें सहयोग करेगी। केवल 10 दिनों के भीतर दिल्ली में 1008 जगहें शिविर के लिए तय की गईं हैं, जहां लोगों को संस्कृत बोलना सिखाया जाएगा। इस कार्यक्रम के समापन के मौके पर 25-30 हजार लोगों के साथ गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। वह दिन दूर नहीं, जब संस्कृत अपना वैभव हासिल करेगी।

संस्कृत को सबके साथ की जरूरत : डॉ. वागेश भट्ट
डॉ. वागेश भट्ट ने कहा कि भारत की आबादी 150 करोड़ है, करीब पांच लाख लोग संस्कृत जानते हैं। अब जरूरत है कि अपने वैभव काे पाने के लिए संस्कृत सीखें। ये शिविर हर किसी के लिए फ्री में खुले हैं। 10 दिन तक हर दिन 2 घंटे के सत्र में कुल 20 घंटे की ट्रेनिंग से संस्कृत में बातचीत करना सीख जाएंगे।

भारी संख्या में लोगों का समर्थन इस आयोजन को भारी समर्थन मिला है। कुल 850 जगहें पंजीकृत हैं, जिनमें 103 सरकारी संस्थान (जैसे कॉलेज, विश्वविद्यालय, विभाग) और 747 अन्य जगहें (आश्रम, मंदिर, धर्मशालाएं, गुरुकुल आदि) शामिल हैं। शिविर में शामिल होने के लिए 9220915556 पर मिस्ड कॉल दें। ये आपको नजदीकी शिविर की जानकारी देगा।

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