100 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को मारने वाले नक्सली ने डाले हथियार, पढ़ें पूरी खबर…
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाकर्मियों को बड़ी कामयाबी मिली है। एक कट्टर नक्सली जिसे बीजापुर पुलिस ने ‘बीजापुर का सबसे हिंसक नक्सल कमांडर’ बताया है, उसने आत्मसमर्पण कर दिया है। वह घात लगाकर किए गए कई हमलों में शामिल था, जिसमें कम से कम 100 सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई थी। पुलिस ने उसकी पहचान दिनेश मोडियम के तौर पर की है, जो गंगालूर समिति का सचिव है।
टीओआई के अनुसार, गंगालूर समिति एक ऐसी इकाई है जो ग्रामीणों, ड्यूटी पर नहीं रहने वाले पुलिसकर्मियों और यहां तक कि साथी कैडरों की क्रूर हत्याओं के लिए जानी जाती है। एक अधिकारी ने बताया कि वह माओवादी संगठन में ‘डिवीजनल कमेटी सदस्य’ के पद पर था। दिनेश और उनकी पत्नी काला ताती, जो माओवादी ‘क्षेत्र समिति सदस्य’ हैं, अपने बच्चे के साथ आत्मसमर्पण करने आए थे। पुलिस ने कहा कि उसने हथियार इसलिए डाले क्योंकि उसे अपनी जान का खतरा था।
अब जब माओवादी संगठन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है और इसके कार्यकर्ता अव्यवस्थित कमान और नियंत्रण की वजह से बिखर चुके हैं। एक अधिकारी ने कहा कि दिनेश का खूनी अतीत उसे परेशान करने लगा है और उसे डर है कि उसके अपने ही लोग उसे मार देंगे। दिनेश के आत्मसमर्पण को माओवादियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, लेकिन इसने छत्तीसगढ़ प्रशासन को असमंजस में डाल दिया है।
दो से तीन नक्सलियों को गोली लगने की संभावना
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में चलाए जा रहे माओवादी विरोधी अभियान के तहत सोमवार को ग्राम मांदागिरी के जंगल में हुई मुठभेड़ में कम से कम दो से तीन नक्सलियों को गोली लगने की संभावना है। प्रतिबंधित माओवादी की उपस्थिति की सूचना पर डीआरजी की 25-30 की संख्या में टीम माओवादी विरोधी अभियान पर निकली थी।
सर्च अभियान के दौरान मांदागिरी के जंगल व पहाड़ियों में पुलिस एवं माओवादियों के बीच में आधे घंटे तक मुठभेड़ हुई। इसमें प्रतिबंधित सशस्त्र माओवादियों द्वारा स्वचालित हथियारों से पहले पुलिस पार्टी पर फायरिंग की गयी, जिसके जवाब में डीआरजी टीम ने भी पेड़ों की आड़ लेकर आत्मसुरक्षार्थ नक्सलियों पर फायरिंग की। रुक-रुक कर लगभग आधा घंटे तक दोनों ओर से गोलीबारी होती रही जिसमें लगभग दो से तीन नक्सली को गोली लगने की संभावना है।