आमलकी एकादशी पर करें तुलसी के ये उपाय, जीवन की हर समस्या होगी दूर

हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत को सच्चे मन से करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर आमलकी एकादशी मनाई जाती है। इसे रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi 2025) के नाम से भी जाना जाता है।
अगर आप आर्थिक तंगी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आमलकी एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी (Amalaki Ekadashi 2025 Tulsi Upay) के उपाय करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तुलसी के उपाय करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं इन चमत्कारी उपायों के बारे में।
कब है आमलकी एकादशी 2025?
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 मार्च को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार 10 मार्च को आमलकी एकादशी व्रत किया जाएगा।
आर्थिक तंगी होगी दूर
अगर आप लंबे समय से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, तो आमलकी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में कच्चे दूध से अर्घ्य दें। इस दौरान निम्न मंत्र का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और हमेशा पैसों से तिजोरी भरी रहती है।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
धन लाभ के बनेंगे योग
तुलसी माता को प्रसन्न करने के लिए आमलकी एकादशी को शुभ माना जाता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु के संग मां तुलसी की पूजा करें। साथ ही श्रीहरि का अभिषेक करें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन से जुडी समस्या दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही जीवन की सभी समस्या दूर होती है।
वास्तु दोष होगा दूर
वास्तु दोष को दूर करने के लिए आमलकी एकादशी के दिन सुबह मां तुलसी की आरती करें। साथ ही मंत्रों का जप करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा माना जाता जाता है कि इस उपाय को करने से साधक का जीवन खुशहाल रहता है और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।