महाकुंभ संगम जल को लेकर घिरी योगी सरकार ,प्रशांत भूषण ने सीएम को दी चुनौती

लखनऊ, प्रयागराज महाकुंभ में संगम जल की गुणवत्ता को लेकर बड़ा सियासी हंगामा मचा हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में संगम के जल को ‘नहाने योग्य नहीं’ बताया गया है. दूसरी तरफ सीएम योगी ने जल को नहाने योग्य और साफ बता दिया। इस बीच सीनीयर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सीएम योगी को बड़ा चौलेंज किया है तो अब इस मामले पर अखिलेश यादव का रिएक्शन भी सामने आया है। प्रयागराज महाकुंभ में संगम जल की गुणवत्ता को लेकर बड़ा सियासी हंगामा मचा हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में संगम के जल को ‘नहाने योग्य नहीं’ बताया गया है। इसमें काफी प्रदूषण है. दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा कि संगम का जल पूरी तरह नहाने योग्य है. सीएम योगी ने विधानसभा में कहा, महाकुंभ में संगम का जल स्नान करने लायक भी है और आचमन के लायक भी है। संगम के जल में ऑक्सीजन की मात्रा 8 से 9 तक है। इस बीच अब सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सीएम योगी को चुनौती दी है कि अगर संगम का पानी पीने योग्य है तो वो इसे पीए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक्स पर लिखा- मैं योगी और उनके मंत्रिमंडल को कुंभ में सार्वजनिक रूप से संगम का एक-एक गिलास पानी पीने की चुनौती देता हूं। वहीं अब इस पूरे मामले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बयान सामने आया है। उन्होंने एक्स पर लिखा-केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को जब बताया तब ये समाचार प्रकाश में आया कि प्रयागराज में गंगा जी का ‘जल मल संक्रमित’ है। लखनऊ में सदन के पटल पर इस रिपोर्ट को झूठ साबित करते हुए कहा गया कि सब कुछ ‘नियंत्रण’ में है।
दरअसल लखनऊवालों का मतलब था ‘प्रदूषित पानी’ के समाचार को फैलने से रोकने के लिए मीडिया पर नियंत्रण है। जनता पूछ रही है कि ‘न्यायालय की अवमानना’ की तरह किसी पर ‘सरकारी बोर्ड या प्राधिकरण की अवमानना’ का मुकदमा हो सकता है क्या? यूपीवाले पूछ रहे हैं रू दिल्ली-लखनऊ के बीच ये चल क्या रहा है? बता दें कि महाकुंभ में संगम के जल को लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी यूपीपीसीबी की रिपोर्ट भी सामने आई थी। इसमें कहा गया था कि प्रयागराज महाकुंभ में गंगा का जल नहाने के लिए ठीक है लेकिन उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने ही सवाल खड़े कर दिए। एनजीटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ये रिपोर्ट लेटेस्ट नहीं है। एनजीटी का ये भी कहना था कि यूपी प्रदूषण बोर्ड की इस रिपोर्ट में पानी की गुणवत्ता से जुड़े सारे मापदंडों का भी जिक्र नहीं किया गया है। अब यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसको लेकर नई रिपोर्ट जारी करेगा। एनजीटी में इस मामले पर अब अगली सुनवाई 28 फरवरी के दिन होगी।