विधायकों की सिक्योरिटी में कौटती पर शिवसेना ने जाहिर की नाराजगी, लगाया यह आरोप

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के करीब 25 मौजूदा और पू्र्व विधायकों की सिक्योरिटी में कौटती करने का फैसला किया गया है। इसको लेकर शिवसेना नेताओं ने नाराजगी भी जाहिर की है। उनका कहना है कि देंवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाली सरकार में उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सीएम फडणवीस ने अपने ही पास रखी है। बता दें कि इससे शिवसेना के 40 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों ने शिंदे का समर्थन किया था। इसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी। उधर शिवसेना (UBT) ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया तो शिंदे सेना के विधायकों को वाई प्लस सिक्योरिटी दे दी गई। विधायकों को पांच से छह पुलिसकर्मियों के अलावा एक एस्कॉर्ट वाहन भी दिया गया था।

शिवसेना विधायकों के साथ फ्लैशिंग लाइट वाला वाहन भी रहता था। मुंबई में एक आईपीएस अधिकारी ने कहा, विधायकों की सुरक्षा के लिए करीब 600 पुलिसकर्मियों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में पुलिस के बाकी काम प्रभावित होते हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने फैसला लिया है कि इन विधायकों की सुरक्षा में कटौती की जाएगी। केवल उन शिवसेना विधायकों को इतनी सुरक्षा मिलेगी जो कि मंत्रिपद पर हैं या फिर उनकी जान को खतरा है।

उन्होंने कहा कि अन्य विधायकों की तरह ही बाकी शिवसेना विधायकों को सुरक्षा के लिए एक पुलिसकर्मी दिया जाएगा। गृह विभाग ने कई अन्य राजनेताओं की सुरक्षा में भी कटौती करने का फैसला किया है। वहीं शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कयांदे ने कहा, कहा गया है कि अब चुनौतियां कम हैं इसलिए शिवसेना विधायकों की सुरक्षा भी कम कर दी गई है। लेकिन कुछ लोगों को इसको लेकर शिकायत है। शिंदे सेना के नेताओं का कहना है कि सरकार सोच-समझकर उन्हें साइडलाइन करने के लिए ऐसा कर रही है। वहीं शिवसेना के दो मंत्री रायगढ़ और नासिस की गार्जियन मिनिस्टरशिप को लेकर भी नाखुश हैं। शिंदे भी देवेंद्र फडणवीस के साथ कई बैठकों में शामिल नहीं हुए।

एक तरफ शिवेसेना और बीजेपी में इस तरह की दूरियों के कयास लगाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शरद पवार तारीफ कर रहे हैं। वहीं देवेंद्र फडणवीस से शिवसेना यूबीटी के नेताओं ने भेंट की। महाराष्ट्र की राजनीति में सत्तारूढ़ महायुति के घटक दलों में उलटफेर का रुख दिखाई पड़ रहा है। बता दें कि महाराष्ट्र के चुनाव में शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर बड़ी जीत दर्ज की लेकिन तीन महीने के भीतर ही दोनों में मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति ने 288 में से 230 सीट जीतकर विजय हासिल की थी।

पिछले वर्ष लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद अब मुंबई, पुणे और ठाणे समेत नगर निकाय चुनाव भी बड़े दांव वाली लड़ाई होंगे, जिसके लिए राज्य में पार्टियां कमर कस रही हैं। हाल में शिवसेना (UBT) के नेताओं ने पिछले ढाई महीने में कम से कम तीन बार मुख्यमंत्री फडणवीस से भेंट की है। मुख्यमंत्री से आदित्य ठाकरे ने दो बार, उद्धव ने एक बार मुलाकात की है, जबकि अन्य वरिष्ठ शिवसेना नेताओं ने भी फडणवीस से अलग से भेंट की है।

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