दिल्ली में नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने की तैयारी शुरू, पढ़ें पूरी खबर…

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Chunav 2025) का परिणाम आने के छह दिन बाद भी नए मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका है। इसे लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व मंथन कर रहा है। नवनिर्वाचित विधायकों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका से लौटने के बाद पर्यवेक्षक की नियुक्ति होगी। इसके बाद भाजपा विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होगी। वहीं, शपथ ग्रहण समारोह को भव्य बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके जरिये भाजपा 27 वर्षों के बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी का जश्न मनाएगी।
इनमें से किसी एक स्थान पर हो सकता है शपथ ग्रहण समारोह
इसके लिए जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, रामलीला मैदान, त्याग राज स्टेडियम सहित अन्य स्थानों पर विचार किया जा रहा है। आयोजन में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की एकजुटता भी देखने को मिलेगी। दिल्ली में नई सरकार के गठन को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अमित शाह सहित अन्य नेताओं के बीच कई बैठक हो चुकी है। गुरुवार को भी नड्डा व शाह के बीच बैठक होने की बात कही जा रही है।
मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम होते हैं सात सदस्य
पिछले दिनों दिल्ली के कई विधायकों से नड्डा अलग-अलग मिले थे। पता चला है कि मुख्यमंत्री व मंत्रियों के चयन में विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखा जाएगा। प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र को भी प्रतिनिधत्व दिया जाएगा। दिल्ली में 70 विधायक चुने जाते हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम सात सदस्य होते हैं।
शपथ ग्रहण समारोह में इनके शामिल होने की उम्मीद
16 फरवरी को विधायक दल की बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा होगी। भाजपा नेताओं का कहना है कि शपथ ग्रहण समारोह को भव्य व यादगार बनाने की तैयारी है। इस समय 13 राज्यों में भाजपा के और छह में सहयोगी पार्टियों के मुख्यमंत्री हैं। इन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों व उप मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की उम्मीद है।
राजग के सांसद और वरिष्ठ नेता भी हो सकते हैं समारोह में शामिल
इनके साथ ही राजग के सांसद और वरिष्ठ नेता भी समारोह में शामिल हो सकते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में दूसरे राज्यों के नेताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सभी विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग राज्यों के विस्तारकों की तैनाती की गई थी। साथ ही 14 संगठनात्मक जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग प्रभारी तैनात थे। चुनाव प्रचार में भी दूसरे राज्यों के नेता शामिल हुए थे। इन सभी को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया जा सकता है।