मेडिकल एडमिशन में नहीं मिलेगा मूल निवासी वाला आरक्षण, SC ने सुनाया बड़ा फैसला

देशभर में मेडिकल कॉलेज में दाखिले को लेकर जारी आरक्षण व्यवस्था पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि मेडिकल कॉलेजों में पोस्टग्रेजुएट (PG) कोर्सेस में डोमिसाइल के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है।

कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि इसे लागू नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टि शामिल थे। पीठ ने कहा, “हम सभी भारत के में निवासी हैं। यहां राज्य या प्रांतीय डोमिसाइल जैसा कुछ नहीं है। केवल एक डोमिसाइल है। वह है हम सभी भारत के निवासी हैं।”

इसके साथ ही पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत हर नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने, व्यापार करने और पेशेवर कार्य करने का अधिकार है। यह अधिकार शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के संदर्भ में भी लागू होता है और डोमिसाइल आधारित कोई भी प्रतिबंध PG स्तर पर इस मौलिक सिद्धांत को बाधित करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि कुछ हद तक डोमिसाइल आधारित आरक्षण अंडरग्रैजुएट (MBBS) प्रवेश में मान्य हो सकता है, लेकिन PG मेडिकल कोर्सेस में इसे लागू नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पीजी कोर्स में विशेषज्ञता और कौशल महत्वपूर्ण होते हैं। जस्टिस धुलिया ने इस फैसले का अवलोकन करते हुए कहा, “चूंकि PG मेडिकल कोर्सेस में विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता अधिक है, इसलिए आवास आधारित आरक्षण उच्च स्तर पर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।”

इस फैसले में कोर्ट ने उन छात्रों को राहत दी है जो वर्तमान में डोमिसाइल आधारित आरक्षण के तहत PG मेडिकल कोर्सेस में दाखिला ले चुके हैं या जिन्होंने पहले ही अपनी PG मेडिकल शिक्षा पूरी कर ली है। पीठ ने कहा, “यह निर्णय भविष्य के दाखिलों को प्रभावित करेगा, लेकिन जो छात्र वर्तमान में PG कोर्स कर रहे हैं या जो पहले ही समाप्त कर चुके हैं उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”

यह मामला 2019 में डॉ. तन्वी बेहल बनाम श्रेयी गोयल और अन्य के संदर्भ में सामने आया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की गई थी। हाईकोर्ट के फैसले में में PG मेडिकल एडमिशन में डोमिसाइल आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया गया था। इस गंभीर मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक बड़ी पीठ के पास भेजने का निर्णय लिया था। अब तीन जजों की पीठ ने इस मामले पर अंतिम निर्णय दिया है।

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